आस्था की राहः दंपती कर रहा 400 km की पदयात्रा, काशी से करौली धाम का सफर

Ved Prakash Sharma
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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फतेहपुरः कहा जाता है कि गंभीर बीमारियों में दवा के साथ-साथ दुआ और ईश्वर की कृपा भी मायने रखती है. गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोग ठीक होने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करने के साथ ही यह मन्नत मांगते है कि स्वस्थ होने पर वह ईश्वर दरबार में हाजिरी लगाएंगे. कुछ इसी तरह की मन्नत को पूरी करने के लिए बिहार के पटना का एक दंपती आस्था की राह में काशी से करौली धाम के लिए पैदल निकल पड़ा है. मन में आस्था का जोश लिए पति-पत्नी के कदम तेजी से अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रहे हैं.

मन्नत पूरी होने पर पैदल करौली धाम के लिए निकले हैं दंपती
आस्था, संकल्प और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का अद्भुत उदाहरण बिहार के पटना निवासी 60 वर्षीय विजय कुमार सिंह और उनकी 55 वर्षीय पत्नी मीना देवी पेश कर रहे हैं. विजय कुमार सिंह ब्रेन हैमरेज जैसी गंभीर बीमारी से ठीक होने के बाद अपनी मन्नत पूरी करने के लिए पत्नी के साथ काशी विश्वनाथ धाम से करौली धाम, कानपुर तक 400 किलोमीटर की पदयात्रा पर निकले हैं.

महाशिवरात्रि के दिन से किया था पदयात्रा का शुभारंभ
इस दंपत्ति ने 26 फरवरी, महाशिवरात्रि के दिन वाराणसी से अपनी यात्रा का शुभारंभ किया. भगवा ध्वज और काशी के जल के साथ प्रतिदिन 20 से 30 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए वे अब तक फतेहपुर पहुंच चुके हैं. अब उनका सफर 110 किलोमीटर शेष है.

विजय और मीना देवी ने बताया
बात करने पर विजय और मीना देवी ने बताया कि वे केवल अपनी मन्नत पूरी कर रहे हैं, बल्कि इस पदयात्रा के जरिए युवाओं को निरोगी रहने के लिए पैदल चलने का संदेश भी दे रहे हैं. वे कहते हैं कि पैदल चलना न केवल आध्यात्मिक रूप से शांति देता है, बल्कि शरीर को भी स्वस्थ बनाए रखता है.

जल्द से जल्द करौली धाम पहुंचने को बेचैन हैं पति-पत्नी
दंपती ने बताया कि पदयात्रा के दौरान जहां भी उन्हें थकान महसूस होता है, कभी मंदिर को कभी होटल में रुककर विश्राम करते हैं. उन्होंने बताया, शायद मन में सच्ची आस्था होने की वजह से हम लोगों बहोत ज्यादा थकावट महसूस नहीं होती है. मन में बस यही बेचैनी है कि जल्द से जल्द करौली धाम पहुंच जाए. हम लोगों की यही बेचैनी हमारे कदमों को जोश के साथ तेजी से आगे बढ़ाती है.

ब्रेन हैमरेज जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित थे विजय
विजय ने बताया कि मैं ब्रेन हैमरेज जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित था. इससे पहले जब मैं करौली धाम गया था तो मुझे काफी आराम मिला था. मेरी पत्नी ने मन्नत मांगा था कि मैं पूरी तरह से ठीक हो गया तो मेरे साथ करौली धाम में वह मत्था टेकने के लिए पैदल आएगी. इसी मन्नत को लेकर हम लोग काशी से करौली के लिए पदयात्रा पर निकले हैं. हम लोगों की इच्छा है कि जल्द से जल्द करौली धाम पहुंच जाए और दरबार में शीश नवा सकें.

(रिपोर्ट, यश द्विवेदी)

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