Holika Dahan 2025: ऐसा शापित गांव जहां होलिका दहन का नाम सुन कांप जाती है लोगों की रुह, जानिए रहस्य

Divya Rai
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Content Writer The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Holika Dahan 2025: पूरे देश में होली (Holi) के पर्व को लेकर उत्साह का माहौल है. 13 मार्च की रात को होलिका दहन (Holika Dahan 2025) किया जाएगा. जिसके बाद रंगोत्सव की शुरुआत हो जाएगी और अगले दिन यानी 14 मार्च को लोग एक दूसरे को अबीर-गुलाल लगाएंगे. होलिका दहन को लेकर लोग जोर-शोर से तैयारी कर रहे हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बता रहे हैं, जहां होलिका दहन नहीं किया जाता है. यहां होलिका दहन का नाम सुन लोगों की रुह कांप जाती है. आइए जानते हैं कहां है ये गांव और यहां क्यों नहीं जलाई जाती है होलिका…?

जानिए कहां है ये गांव?

दरअसल, हम जिस गांव की बात कर रहे हैं वह मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड अंचल के सागर जिले का हथखोह गांव है. यहां होलिका दहन पर पूर्णतः रोक है. खास बात यह है कि यह रोक किसी पुलिस प्रशासन द्वारा नहीं लगाया है, बल्कि इस गांव के लोगों द्वारा ही लगाई गई है. यहां दशकों से आज तक कभी होलिका नहीं जलाई गई. इस गांव में होलिका दहन का जिक्र होते ही लोग डर जाते हैं. यहां होलिका दहन की रात सामान्य रात की तरह ही होती है. हालांकि, होलिका दहन के अगले दिन होली खेली जाती है.

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जानिए क्यों नहीं जलाई जाती है होलिका

यहां होलिका दहन ना करने के पीछे की वजह बहुत रहस्यमय है. बता दें कि इस गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि दशकों पहले गांव में होलिका दहन के दौरान आग लग गई. इस आग ने विकराल रूप ले लिया. जिसे बुझाना लोगों के काबू से बाहर हो गया और कई झोपड़ियां जलकर राख हो गईं. इस दौरान ग्रामीणों ने झारखंडन देवी की आराधना की. जिसके बाद झारखंडी माता की कृपा से आग बुझी और ग्रामीणों ने रात की सांस ली

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झारखंडन माता को कुलदेवी मानते हैं लोग

आदिवासियों के इस हथखोय गांव में ऐसी मान्यता है कि होली जलाने के बाद यहां एक देवी हैं, जो नाराज हो जाती है और फिर उनका प्रकोप देखने को मिलता है. इसी वजह से यहां के ग्रामीण होलिका दहन नहीं करते हैं. ग्रामीणों को इस बात का डर है कि होली जलाने से झारखंडन देवी कहीं नाराज न हो जाएं. यही वजह है कि यहां होलिका दहन के दिन होलिका नहीं जलाई जाती है. झारखंडन माता को ग्रामीण अपनी कुलदेवी भी मानते हैं.

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