भारत अपनी मेडटेक क्रांति के साथ वैश्विक स्वास्थ्य नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है. ‘मेक इन इंडिया, मेड फॉर द वर्ल्ड’ की सोच के तहत देश स्वदेशी, उच्च गुणवत्ता वाले कृत्रिम अंग और चिकित्सा उपकरण विकसित कर रहा है, जिससे न केवल आयात पर निर्भरता घटेगी, बल्कि रोजगार और आर्थिक वृद्धि भी होगी. 2025 के केंद्रीय बजट में स्वास्थ्य मंत्रालय को ₹99,858.56 करोड़ आवंटित किए गए हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ेगी. मेडिकल उपकरण निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए पीएलआई योजना और मेडिकल डिवाइस पार्क स्थापित किए गए हैं. स्वास्थ्य क्षेत्र में नवाचार, स्वदेशी उत्पादन और वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए सरकार अनुसंधान, शिक्षा और उद्योग सहयोग को मजबूत कर रही है.
भारत की मेडटेक इंडस्ट्री वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सेवा का नया मानक स्थापित कर रही है. भारत का मेडक्टेक सेक्टर ‘विकसित भारत’ की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है. यह न केवल देश में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुलभ बनाएगा, बल्कि भारत को वैश्विक स्वास्थ्य नवाचार और निर्माण का केंद्र भी बनाएगा. भारत अब विश्वस्तरीय कृत्रिम अंग और प्रोस्थेटिक्स का निर्माण कर रहा है, जिससे आयात पर निर्भरता घटेगी और लोगों को सस्ते एवं बेहतरीन स्वास्थ्य समाधान मिलेंगे.
‘मेड इन इंडिया’ उत्पाद अब दुनिया भर में लोगों के जीवन को बदलने की दिशा में काम कर रहे हैं।. केंद्र सरकार ने 2025-26 के बजट में स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए ₹99,858.56 करोड़ का प्रावधान किया है. इसका उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाना, मेडिकल छात्रों के लिए नए अवसर खोलना और मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देना है.
स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम
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पीएलआई स्कीम के तहत ₹2,445 करोड़ का आवंटन, जिससे API और MedTech निर्माण को बढ़ावा मिलेगा.
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‘प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम’ से मेडिकल डिवाइस निर्माण में 5% की वित्तीय सहायता.
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मेडिकल डिवाइस पार्क योजना को यूपी, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में मंजूरी.
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रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च में ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ की स्थापना.