India Myanmar Border: भारत सरकार ने म्यांमार बॉर्डर को पूरी तरह से सील करने का एक ऐतिहासिक कदम उठाया है. बॉर्डर को सील करने के साथ ही इसके फ्री मूवमेंट रिजीम यानी एफएमआर को भी खत्म कर दिया गया है.
बता दें कि पहली बार भारत ने म्यांमार के साथ अपनी 1645 किलोमीटर लंबी सीमा को पूरी तरह बंद करने का फैसला किया है. दरअसल, जोलैंड भारत और म्यांमार के कुछ हिस्सों में रहने वाले कुकी समुदाय का सपना था. वो मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड और म्यांमार के शंघाई क्षेत्र को मिलाकर एक अलग राज्य बनाना चाहते थें, लेकिन भारत सरकार ने इस मांग को खारिज कर दिया है और म्यांमार सीमा पर सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए है.
क्या है फ्री मूवमेंट रिजीम?
इससे पहले भारत और म्यांमार के लोगों को 10 किलोमीटर तक बिना वीजा के आने जाने की अनुमति थी, लेकिन अब ऐसा संभव नहीं है. बॉर्डर पार करने के लिए अब पूरी प्रक्रिया का निर्वहन करना होगा और एक तय गेट से गुजरना होगा. भारत सरकार द्वारा उठाए गए इस फैसले का सबसे ज्यादा प्रभाव नागा और कुकी जनजातियों पर पड़ेगा, क्योंकि इसके रिश्तेदार म्यांमार में रहते हैं और यही वजह है कि वो इस फैसले का विरोध कर रहे है.
हालांकि भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए ये बड़ा कदम उठाया है. ऐसे में यंग मिजो एसोसिएशन या सेंट्रल वाईएमए की केंद्रीय समिति ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने के साथ ही पड़ोसी देश के साथ मुक्त आवागमन को रोकने के केंद्र के फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है.
क्यों लिया गया ये फैसला?
भारत सरकार के इस फैसले के पीछे कई वजह हैं. दरअसल, म्यांमार में साल 2021 से गृह युद्ध जैसी स्थिति बनी हुई है, ऐसे में वहां के लोग भारत में शरण लेने आ रहे हैं, जिससे मिजोरम और मणिपुर में तनाव बढ़ रहा है. इसके अलावा, भारत में नार्को टेररिज्म का भी विस्तार हो रहा है. वहीं, कई आतंकी संगठन ड्रग्स और हथियारों की तस्करी के जरिए अपने नेटवर्क को मजबूत कर रहे हैं.
40,000 शरणार्थियों को आश्रय दे रहा मिजोरम
मालूम हो कि मिजोरम साल 2021 में पड़ोसी देश के सैन्य अधिग्रहण के बाद से म्यांमार के चिन राज्य के लगभग 40,000 शरणार्थियों को आश्रय प्रदान कर रहा है, जो मिज़ो के साथ जातीय संबंध साझा करते हैं. इतना ही नहीं, राज्य में बांग्लादेश के चटगांव पहाड़ी क्षेत्र से आए 2,000 शरणार्थी और मणिपुर से आए 12,000 आंतरिक रूप से विस्थापित लोग भी हैं.