वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2025 जारी, खुशी की दौड़ में लगातार 8वीं बार इस देश का दबदबा बरकरार

Raginee Rai
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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World Happiness Report 2025: आज वर्ल्ड हैपिनेस डे है और इसी मौके पर “वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2025” जारी हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार, फिनलैंड ने लगातार आठवीं बार सबसे खुशहाल देश का ताज हासिल किया है. यानी नॉर्डिक देशों का खुशी की दौड़ में दबदबा बरकरार है.

डेनमार्क, आइसलैंड और स्वीडन भी टॉप 4 में शामिल हैं. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वेलबीइंग रिसर्च सेंटर की ओर से प्रकाशित इस रिपोर्ट में पाया गया कि खुशी के पीछे आर्थिक समृद्धि से ज्यादा भरोसा, आपसी सहयोग और समाज का सकारात्मक नजरिया मुख्‍य भूमिका निभाते हैं. वहीं यूएस समेत कुछ देश की रैंकिंग में गिरावट दर्ज की गई है.

अमेरिका और ब्रिटेन की रैंकिंग में गिरावट

जहां एक ओर नॉर्डिक देशों ने टॉप स्थानों पर कब्जा किया, वहीं अमेरिका और ब्रिटेन की रैंकिंग में लगातार गिरावट देखी गई. अमेरिका जो पहले टॉप 20 में शामिल था, अब इस लिस्ट में और नीचे आ गया है. विशेषज्ञों के मुताबिक, अमेरिका में बढ़ती सामाजिक असमानता, तनाव और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ लोगों की खुशहाली पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही हैं. इसी तरह, ब्रिटेन भी पहले के मुकाबले नीचे आ गया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि विकसित देशों में खुशहाली केवल जीडीपी की बढ़ोतरी से तय नहीं होती.

यह  देश सबसे दुखी

पश्चिमी औद्योगिक देशों में खुशहाली का ग्राफ अब 2005-2010 के तुलना में नीचे आ गया है. 15 देशों में खुशी का स्तर गिरा है, जबकि केवल 4 देशों में सुधार हुआ है. मुख्‍य रूप से अमेरिका, स्विट्ज़रलैंड और कनाडा में यह गिरावट 0.5 अंकों से अधिक रही, जिससे ये “टॉप 15 सबसे ज्यादा उदास” देशों की लिस्ट में आ गए हैं.

अफगानिस्तान एक बार फिर दुनिया के सबसे दुखी देश में शामिल हो गया है. अफगान महिलाओं ने कहा है कि इस देश में ज़िंदगी एक संघर्ष में बन चुकी है. पश्चिमी अफ्रीका का सिएरा लियोन दूसरे स्‍थान पर है, जबकि लेबनान तीसरे सबसे अधमरे देश के तौर पर उभरा है.

खुशी का असली पैमाना? 

गैलप के सीईओ जॉन क्लिफ्टन के मुताबिक, खुशी केवल पैसा या विकास पर निर्भर नहीं करती, बल्कि यह इस बात पर भी निर्भर है कि लोग एक-दूसरे पर कितना विश्‍वास करते हैं और एक-दूसरे के लिए कितने मददगार हैं. शोधकर्ताओं की मानें तो छोटे-छोटे सामाजिक कारक, जैसे कि परिवार के साथ भोजन करना, किसी भरोसेमंद व्यक्ति का साथ होना और सामाजिक सहयोग, खुशी के प्रमुख कारणों में शामिल हैं.

रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया कि किसी समुदाय में दूसरों की ईमानदारी और भलाई में विश्वास करना, खुशहाली का एक बड़ा संकेतक है. उदाहरण के लिए, जिन देशों में लोग यह मानते हैं कि यदि उनका बटुआ खो जाए तो उन्हें वापस मिल सकता है, वे आमतौर पर अधिक खुशहाल पाए गए. नॉर्डिक देशों में खोए हुए बटुए की वापसी की दर सबसे अधिक दर्ज की गई, जिससे यह पता चलता है कि वहाँ परस्पर विश्वास और ईमानदारी का लेवल ऊंचा हैं.

कोस्टा रिका और मैक्सिको टॉप 10 में हुए शामिल  

जहाँ यूरोपीय देश अब भी टॉप 20 में हैं, वहीं इस बार कुछ नए देशों ने टॉप 10 में जगह बना ली है. कोस्टा रिका और मैक्सिको पहली बार दुनिया के टॉप 10 खुशहाल देशों में शामिल हुए. रिपोर्ट के अनुसार, मैक्सिको और यूरोप में चार से पांच सदस्यों वाले परिवार सबसे अधिक संतुष्ट जीवन जीते हैं. यही नहीं, इज़रायल, जो इस समय युद्ध जैसी स्थिति का सामना कर रहा है, फिर भी 8वें स्थान पर बना रहा.

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