एंजेल वन आइकॉनिक एसेट की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत दुनिया की कंजम्पशन (खपत) राजधानी बनने जा रहा है, जो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ देगा. भारत में कंजम्पशन जीडीपी का 56% है और यह इसकी अर्थव्यवस्था का सबसे तेजी से बढ़ने वाला क्षेत्र है. रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते उपभोक्ता आधार के कारण भारत की खपत 2034 तक दोगुनी होने का अनुमान है. सिंगल परिवार के चलन के कारण भारत में घरेलू विकास जनसंख्या वृद्धि से आगे निकल रहा है और यह बढ़ती खपत का प्रमुख चालक बनकर उभर रहा है.
भारत वैश्विक कार्यबल वृद्धि में भी अग्रणी होने जा रहा है. इसके अतिरिक्त रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अगले 25 वर्षों में भारत की बचत पिछले 25 वर्षों की कुल बचत का 10 गुना होगी. वित्तीय वर्ष 1997 और 2023 के बीच भारत की कुल बचत 12 ट्रिलियन डॉलर थी, रिपोर्ट में कहा गया है कि यह 2047 तक 10 गुना बढ़कर 103 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी. इससे वृद्धिशील खपत की व्यापक संभावनाएं खुलेंगी. रिपोर्ट में बताया गया है कि केंद्रीय बजट में हाल ही में की गई टैक्स कटौती से 1 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी और इससे 3.3 लाख करोड़ रुपये की वृद्धिशील खपत होगी, जिससे देश की जीडीपी में 1% की वृद्धि होने की संभावना है.
रिपोर्ट के मुताबिक, आर्थिक और आय विस्तार की अवधि के दौरान, अमेरिका और चीन दोनों ने विवेकाधीन खपत को गैर-विवेकाधीन खर्च से आगे बढ़ते देखा और भारत भी इसी तरह की राह पर चलने के लिए तैयार है. रिपोर्ट में कहा गया है, “प्रति व्यक्ति आय में मजबूत वृद्धि के चरण के दौरान अमेरिका में खपत खर्च 10 गुना बढ़ गया. भारत में प्रति व्यक्ति आय बढ़ने पर खपत में इसी तरह की वृद्धि देखी जा सकती है.”
उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, परिधान, सहायक उपकरण (आभूषण सहित) और अनुभव अर्थव्यवस्था विवेकाधीन खपत में सबसे तेज श्रेणियों के रूप में उभरेंगे. 92% खुदरा व्यापार अभी भी किराना स्टोर के माध्यम से होता है, आधुनिक खुदरा क्षेत्र के लिए बाजार हिस्सेदारी को बढ़ाने और हासिल करने का एक बड़ा अवसर है. भारत में पूरी अमेरिकी आबादी की तुलना में अधिक जनरेशन जेडर्स हैं. 2035 तक, खर्च किया जाने वाला हर दूसरा रुपया जनरेशन जेडर्स से आएगा. इससे भारत की उपभोग वृद्धि की कहानी को बल मिलता है.