Indonesia Magazine: इंडोनेशिया में मीडिया की स्वतंत्रता पर खतरा मंडरा रहा है. दरअसल, हाल ही में राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो की नीतियों की आलोचना करने वाली टेम्पो पत्रिका को धमकी दी गई. इतना ही नहीं उनके ऑफिस में सुअर का सिर और कटे हुए चूहों का एक डिब्बा भेजा गया, जो पत्रकारों में खतरनाक माहौल पैदा कर रही है.
बता दें कि यह घटना इंडोनेशिया में मीडिया की स्वतंत्रता पर दबाव डालने का संकेत देती है. हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि इस धमकी के पीछे किसका हाथ है, लेकिन यह एक गंभीर चिंता का कारण बना हुआ है.
टेम्पो ने की थी राष्ट्रपति की आलोचना
दरअसल, 1970 के दशक से इंडोनेशिया के शीर्ष साप्ताहिक प्रकाशनों में से एक टेम्पो ने हाल ही में राष्ट्रपति प्रबोवो की नीतियों पर आलोचनात्मक रिपोर्टें प्रकाशित की थीं. इसके बाद शनिवार को उनके कार्यालय में सफाईकर्मियों को कटे हुए चूहों का एक डिब्बा मिला. वहीं, इससे पहले गुरुवार को सुअर का सिर भी भेजा गया था.
कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया
हालांकि टेम्पों के कार्यालय में हुए इस हरकत को लेकर एमनेस्टी इंटरनेशनल और पत्रकारों की सुरक्षा समिति जैसे संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है. एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडोनेशिया के कार्यकारी निदेशक उस्मान हामिद ने कहा है कि इंडोनेशिया में पत्रकार होना “मौत की सजा जैसा” हो सकता है. इसके साथ ही उन्होंने तुरंत जांच की भी मांग की है.
अपने मिशन के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध प्रत्रिका
वहीं, पत्रकारों की सुरक्षा समिति के एशिया कार्यक्रम के प्रमुख बेह लिह यी ने इसे “डराने-धमकाने का एक खतरनाक और जानबूझकर किया गया कृत्य” करार दिया. इसी बीच टेम्पो के प्रधान संपादक सेत्री यासरा ने कहा कि इस धमकी का उद्देश्य उनके काम को कमजोर करना है, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि पत्रिका अपने मिशन के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध रहेगी.
पत्रिका ने पुलिस को दी जानकारी
उन्होंने कहा कि “यदि पत्रकारों को डराने का इरादा है, तो हम डरने वाले नहीं हैं, लेकिन इस कायरतापूर्ण कृत्य को रोकें.” बता दें कि टेम्पो ने इस घटना की सूचना पुलिस को भी दी है. फिलहाल अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं.
प्रेस की स्वतंत्रता पर सवाल
वहीं, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो के प्रवक्ता हसन नासबी ने इस घटना को हल्के में लेते हुए कहा कि पत्रिका को “बस सुअर का सिर पकाना चाहिए,”. हालांकि बाद में फिर उन्होंने अपने एक बयान में कहा कि देश में प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखना जरूरी है. वहीं, इस घटना को लेकर इंडोनेशियाई पत्रकारों में गंभीर चिंता की स्थिति बनी हुई है. खासकर उन पत्रकारों के लिए जो सरकार की आलोचना करते हैं.
प्रबोवो की नीतियों की आलोचना
दरअसल, टेम्पो पत्रिका ने हाल ही में राष्ट्रपति प्रबोवो की नीतियों की आलोचना करते हुए कई लेख प्रकाशित किए हैं. इनमें व्यापक बजट कटौती के मुद्दे भी शामिल हैं, जो हाल ही में विरोध प्रदर्शनों का कारण बने थे. इस घटना ने इंडोनेशिया में प्रेस और सरकार के बीच बढ़ते तनाव को और बढ़ा दिया है.
इसे भी पढें:-‘देश में दोबारा स्थापित नहीं होगी आवामी लीग’, बांग्लादेशी छात्रों ने उठाई शेख हसीना के पार्टी को बैन करने की मांग