भारतीय रेलवे को अल्स्टॉम ने सौंपा 500वां इलेक्ट्रिक इंजन, ‘Make in India’ के तहत दक्षता और लागत में सुधार

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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अल्स्टॉम ने भारतीय रेलवे (Indian Railways) को 500वां स्वदेशी इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव (Indigenous Electric Locomotive) सौंपने की घोषणा की है. यह उपलब्धि रेलवे के आधुनिकीकरण और स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है. 500वां पूरी तरह भारत में निर्मित Prima T8 WAG-12B इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव अल्स्टॉम के अत्याधुनिक मधेपुरा (बिहार) संयंत्र से भारतीय रेलवे को सौंपा गया. इस ऐतिहासिक अवसर पर रेलवे के प्रमुख अधिकारी मनीष कुमार और अल्स्टॉम इंडिया के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.
यह परियोजना भारतीय रेलवे और अल्स्टॉम के बीच हुए €3.5 बिलियन (करीब 31,000 करोड़ रुपये) के अनुबंध का हिस्सा है, जिसके तहत 800 हाई-पावर डबल-सेक्शन Prima T8 लोकोमोटिव निर्मित किए जा रहे हैं. प्रत्येक लोकोमोटिव की क्षमता 12,000 हॉर्सपावर (9 मेगावाट) है और यह लगभग 6,000 टन वजन के मालगाड़ियों को 120 किमी/घंटा की गति से खींचने में सक्षम है. अल्स्टॉम इंडिया के प्रबंध निदेशक ओलिवियर लॉइसन ने कहा, “हमारे WAG-12B इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव नवीनतम तकनीक से लैस हैं और ये भारत में पूरी तरह से निर्मित हैं.
ये तेज़, अधिक कुशल और विश्वसनीय माल परिवहन को सुनिश्चित करते हैं. 500वें लोकोमोटिव की डिलीवरी भारत के रेलवे बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है.” अल्स्टॉम का मधेपुरा संयंत्र भारत के सबसे बड़े ग्रीनफील्ड रेलवे निर्माण केंद्रों में से एक है. यह भारतीय रेलवे और अल्स्टॉम के संयुक्त उद्यम का हिस्सा है.
इस परियोजना ने भारतीय रेलवे में अब तक के सबसे बड़े प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित किया है. संयंत्र की वार्षिक उत्पादन क्षमता 120 लोकोमोटिव है, और इसमें 90% से अधिक स्थानीयकरण किया गया है, जिसमें 85% से अधिक पुर्जे भारत में निर्मित हो रहे हैं. इन लोकोमोटिव्स में उन्नत इंसुलेटेड गेट बाइपोलर ट्रांजिस्टर (IGBT)-आधारित प्रणोदन तकनीक का उपयोग किया गया है, जो ऊर्जा की खपत को कम करने में मदद करता है.
इसके अलावा, पुनर्योजी ब्रेकिंग तकनीक से ट्रेनों की दक्षता बढ़ती है और परिचालन लागत कम होती है. यह न केवल रेलवे के संचालन को अधिक कुशल बनाता है बल्कि पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है. भारतीय रेलवे ने माल परिवहन की दक्षता को बढ़ाने के लिए इन हाई-पावर लोकोमोटिव्स को शामिल किया है. इनका उपयोग कोयला, सीमेंट, खाद्यान्न, उर्वरक, पेट्रोकेमिकल्स, खनिज और अन्य आवश्यक वस्तुओं के परिवहन में किया जा रहा है.
इसके अलावा, इन लोकोमोटिव्स की मदद से रेलवे नेटवर्क में भीड़भाड़ को कम करने में सहायता मिल रही है, जिससे माल ढुलाई की गति तेज हुई है और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला है. अल्स्टॉम द्वारा 500वें इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव की डिलीवरी भारत के रेलवे क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और नवाचार की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. यह परियोजना न केवल भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण को गति दे रही है, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था और औद्योगिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही है.
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