अमेरिकी बाजार पर पड़ेगा निगेटिव असर, लोगों का उठ जाएगा भरोसा…ट्रंप टैरिफ पर मूडीज ने जारी की रिपोर्ट

Raginee Rai
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Moody’s Ratings on Trump Tariff: अमेरिका की ओर से छेड़ी गई टैरिफ वॉर के बीच क्रेडिट रेटिंग कंपनी मूडीज ने अपनी रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस तरीके से अभी बाजार में उथल-पुथल मची हुई है, इसका अमेरिकी बाजार और वहां के लोगों पर निगेटिव प्रभाव पड़ेगा. लोगों का भरोसा बाजार से उठ सकता है.

टैरिफ बढ़ाने से ग्‍लोबल बाजार में बढ़ सकती है अनिश्चितता

रेटिंग एजेंसी मूडीज रेटिंग्स ने कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दुनियाभर के देशों पर टैरिफ बढ़ाने से वैश्विक बाजार में अनिश्चितता बढ़ सकती है. इस अनिश्चितता से एशियाई देशों, खासकर भारत की आर्थिक वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिल सकता है. रेटिंग एजेंसी ने बताया कि इससे कारोबारी विश्वास और उपभोक्ता भावना कमजोर हो सकती है, जो घरेलू मांग और निवेश को प्रभावित करेगा. मालूम हो कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को छोड़कर अन्य देशों पर लगाए गए जवाबी शुल्कों को 90 दिनों के लिए रोक दिए है. हालांकि मूल 10 प्रतिशत का सीमा शुल्क अभी भी लागू रहेगा.

सुस्‍त होगी ग्रोथ की रफ्तार

मूडीज रेटिंग्स की वरिष्ठ उपाध्यक्ष, निकी डांग ने कहा कि अमेरिका-चीन तनाव और चीन की इकोनॉमी में सुस्ती एशियाई क्षेत्र की वृद्धि संभावनाओं के लिए प्रमुख नकारात्‍मक जोखिम पैदा करते हैं. भारत जैसे बड़े घरेलू बाजार वाली इकोनॉमी को कुछ लाभ मिल सकता है, लेकिन निवेश में बड़े बदलाव दीर्घकालिक प्रक्रिया होगी. मूडीज की सहयोगी संस्था मूडीज एनालिटिक्स ने भारत की साल 2025 की अनुमानित वृद्धि दर को फरवरी के 6.4 प्रतिशत से घटाकर अब 6.1 प्रतिशत कर दिया है. यह कटौती वैश्विक व्यापार अस्थिरता और घरेलू मांग में संभावित गिरावट के मद्देनज़र की गई है.

भारत-अमेरिका व्यापार समझौता

विशेषज्ञों के मुताबिक, यह 90-दिन की राहत अवधि भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) को आगे बढ़ाने के लिए एक अहम अवसर प्रदान करती है. दोनों देश 2030 तक आपसी व्यापार को 191 अरब डॉलर से बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं और इसका पहला चरण सितंबर-अक्टूबर 2025 तक पूरा करने का प्‍लान है. डांग ने कहा कि मौजूदा घटनाक्रम यह संकेत देते हैं कि वर्ल्‍ड ट्रेडिंग सिस्‍टल, जो पहले विश्वास और नियम-आधारित थी, अब बदलाव के दौर में है. इससे ग्‍लोबल इकॉनोमी पर अर्थव्‍यवस्‍था पर लंबी अवधि का गहरा प्रभाव पड़ सकता है.

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