Project Cheetah: दक्षिण अफ्रीका के बोत्सवाना से आठ चीतों को मध्य प्रदेश में लाई जाने की योजना है. इन चीतों को दो चरणों में भारत के एमपी में लाया जाएगा. पहले चरण मई में पूरा किया जाएगा, जिसके तहत कुल चार चीतों को मध्य प्रदेश में लाया जाएगा और फिर दूसरे चरण में चार चीतों को भारत लाया जाएगा.
दरअसल, शुक्रवार को भोपाल में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव की उपस्थिति में चीता परियोजना की समीक्षा बैठक हुई. इस दौरान एनटीसीए अधिकारियों ने बताया कि अब तक देशभर में चीता परियोजना पर 112 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जा चुके हैं, जिसमें से 67 प्रतिशत व्यय मध्य प्रदेश में चीता पुनर्वास पर खर्च किया गया है.
गांधी सागर अभयारण्य में लाए जाएंगे चीते
बता दें कि प्रोजेक्ट चीता के तहत राजस्थान की सीमा से सटे गांधी सागर अभयारण्य में चरणबद्ध तरीके से चीतों को बसाया जाएगा, ऐसे में मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच अंतरराज्यीय चीता संरक्षण क्षेत्र स्थापित करने के लिए सैद्धांतिक सहमति बन गई है.
सैटेलाइट के जरिए चीतों पर रखी जाती है निगरानी
वहीं, कुनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों के बारे में जानकारी देते हुए वन अधिकारियों ने बताया कि वहां 26 चीते हैं, जिनमें से 16 खुले जंगल में और 10 पुनर्वास केंद्र (बाड़ों) में हैं. ऐसे में उनपर निगरानी रखने के लिए सैटेलाइट कॉलर आईडी का इस्तेमाल किया जाता है, और 24 घंटे ट्रैकिंग की जाती है.
पर्यटकों की सख्यां में हुई वृद्धि
उन्होंने बताया कि मादा चीता ज्वाला, आशा, गामिनी और वीरा ने शावकों को जन्म दिया है. वहीं, पिछले दो वर्षो में केएनपी में पर्यटकों की संख्या में भी दोगुना इजाफा हुआ है. अधिकारियों के मुताबिक, पांच मादा और तीन नर सहित आठ नामीबियाई चीतों को 17 सितंबर, 2022 को केएनपी में छोड़ा गया था. वहीं, फरवरी 2023 में, 12 और चीतों को दक्षिण अफ्रीका से केएनपी में स्थानांतरित किया गया. फिलहाल, केएनपी में 26 चीते हैं, जिनमें भारत में जन्मे 14 शावक शामिल हैं.
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