UNSC: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में मुस्लिम देशों के आरक्षण वाले प्रस्ताव को भारत समेत जी4 के देशों ने खारिज कर दिया है. दरअसल, भारत ने संशोधित यूएनएससी में प्रतिनिधित्व के लिए धर्म या आस्था को मानदंड के रूप में पेश करने के प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति जाहिर की है. इस दौरान उसने साफ तौर पर कहा है कि ऐसे मानदंड क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के लंबे समय से स्थापित सिद्धांतों के अनुरूप नहीं हैं.
भविष्य में यूएनएससी के आकार और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को लेकर IGN बैठक में यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने कहा कि धर्म जैसे नए मापदंडों को पेश करने से परिषद के प्रतिनिधित्व ढांचे के मूलभूत सिद्धांत पटरी से उतर जाएंगे. परिषद में प्रतिनिधित्व के आधार के रूप में धर्म और आस्था जैसे नए मापदंडों को पेश करने का प्रयास क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के बिल्कुल विपरीत है, जो संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधित्व के लिए स्वीकृत आधार रहा है.
तुर्कीए ने की इस्लामी देश को वीटो पावर देने की वकालत
दरअसल, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने यूएनएससी में एक इस्लामी देश को वीटो पावर देने की वकालत की है. वहीं, नए स्थायी सदस्यों को जोड़ने का विरोध करने वाला पाकिस्तान मजबूत इस्लामी प्रतिनिधित्व का समर्थन करता है. ऐसे में ही बीते वर्ष पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र के पूर्व दूत मुनीर अकरम ने जोर देकर कहा था कि इस्लामिक उम्माह किसी भी ऐसे UNSC सुधार प्रस्ताव को अस्वीकार कर देगा, जिसमें मुस्लिम बहुल देशों के लिए पर्याप्त प्रतिनिधित्व शामिल नहीं है.
G-4 ने तोड़ा इन देशों के इस्लामिक प्रतिनिधित्व का सपना
बता दें कि लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सुधार को लेकर मांग चल रही है. ऐसे में भारत समेत G-4 के देशों ब्राजील, जर्मनी और जापान ने तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगान, पाकिस्तान और सऊदी अरब के इस्लामिक प्रतिनिधित्व के सपने को तोड़ दिया है.
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