Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार, 27 अप्रैल को मन की बात कार्यक्रम के 121वें एपिसोड में देशवासियों को संबोधित किया. इस दौरान पीएम मोदी ने वैज्ञानिक डॉ. के कस्तूरीरंगन (Dr. K Kasturirangan) को श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्होंने कहा, डॉ. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में इसरो (ISRO) को नई पहचान मिली और उनकी देखरेख में लॉन्च हुए सैटेलाइट्स ने भारत को वैश्विक मान्यता दिलाई.
डॉ. के कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में इसरो को मिली नई पहचान
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, दो दिन पहले हमने देश के महान वैज्ञानिक डॉ. के कस्तूरीरंगन को खो दिया है. जब भी कस्तूरीरंगन जी से मुलाकात हुई, हम भारत के युवाओं के टैलेंट, आधुनिक शिक्षा, स्पेस साइंस जैसे विषयों पर काफी चर्चा करते थे. विज्ञान, शिक्षा और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाई देने में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा. उनके नेतृत्व में इसरो को एक नई पहचान मिली. पीएम मोदी ने कहा कि उनके मार्गदर्शन में जो स्पेस प्रोग्राम आगे बढ़े, उससे भारत के प्रयासों को ग्लोबल मान्यता मिली. आज भारत जिन सैटेलाइट्स का उपयोग करता है, उनमें से कई डॉ. कस्तूरीरंगन की देखरेख में ही लॉन्च की गई थीं.
पीएम मोदी ने डॉ. के कस्तूरीरंगन के व्यक्तित्व का जिक्र करते हुए कहा, उनके व्यक्तित्व की एक और बात बहुत खास थी, जिससे युवा पीढ़ी उनसे सीख सकती है. उन्होंने हमेशा इनोवेशन को महत्व दिया. कुछ नया सीखने, जानने और नया करने का विजन बहुत प्रेरित करने वाला है. कस्तूरीरंगन ने देश की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार करने में भी बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी. वह 21वीं सदी की आधुनिक जरूरतों के मुताबिक दूरगामी शिक्षा का विचार लेकर आए थे. देश की निस्वार्थ सेवा और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा.
पीएम मोदी ने आगे कहा, इसी महीने अप्रैल में आर्यभट्ट सैटेलाइट की लॉन्चिंग के 50 वर्ष पूरे हुए हैं. आज जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं, 50 वर्षों की इस यात्रा को याद करते हैं, तो लगता है हमने कितनी लंबी दूरी तय की है. अंतरिक्ष में भारत के सपनों की ये उड़ान एक समय केवल हौंसलों से शुरू हुई थी. राष्ट्र के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा पाले कुछ युवा वैज्ञानिक, उनके पास न तो आज जैसे आधुनिक संसाधन थे, न ही दुनिया की टेक्नोलॉजी तक वैसी पहुंच थी.
अगर कुछ था तो वह था, प्रतिभा, लगन, मेहनत और देश के लिए कुछ करने का जज्बा। बैलगाड़ियों और साइकिलों पर उपकरण को खुद लेकर जाते हमारे वैज्ञानिकों की तस्वीरों को आपने भी देखा होगा. उसी लगन और राष्ट्र सेवा की भावना का नतीजा है कि आज इतना कुछ बदल गया है.
पीएम मोदी ने कहा, आज भारत एक वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति बन चुका है. हमने एक साथ 104 उपग्रहों का लॉन्च करके रिकॉर्ड बनाया है. हम चंद्रमा के साउथ पोल पर पहुंचने वाले पहले देश बने हैं. भारत ने मंगल ऑर्बिटर मिशन का प्रक्षेपण किया है और हम आदित्य – एल1 मिशन के जरिए सूरज के काफी करीब तक पहुंचे हैं. आज भारत पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा प्रभावी लगता, लेकिन सफल अंतरिक्ष कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहा है. दुनिया के कई देश अपनी सैटेलाइट और स्पेस मिशन के लिए इसरो की मदद लेते हैं.
पीएम मोदी ने कहा, हम जब इसरो द्वारा किसी सैटेलाइट का लॉन्च देखते हैं तो हम गर्व से भर जाते हैं. ऐसी ही अनुभूति मुझे तब हुई जब मैं 2014 में पीएसएलवी-सी-23 की लॉन्चिंग का साक्षी बना था. 2019 में चंद्रयान-2 की लैंडिंग के दौरान भी मैं बेंगलुरू के इसरो सेंटर में मौजूद था। उस समय चंद्रयान को वो अपेक्षित सफलता नहीं मिली थी, तब वैज्ञानिकों के लिए वह बहुत मुश्किल घड़ी थी. लेकिन, मैं अपनी आंखों से वैज्ञानिकों के धैर्य और कुछ कर गुजरने का जज्बा भी देख रहा था और कुछ साल बाद पूरी दुनिया ने भी देखा कि कैसे वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 को सफल करके दिखाया.
पीएम मोदी ने आगे कहा, अब भारत ने अपने स्पेस सेक्टर को प्राइवेट सेक्टर के लिए भी खोल दिया है. आज बहुत से युवा स्पेस स्टार्टअप में नए झंडे लहरा रहे हैं. 10 साल पहले इस क्षेत्र में सिर्फ एक कंपनी थी, लेकिन आज देश में, सवा तीन सौ से ज्यादा स्पेस स्टार्टअप काम कर रहे हैं. आने वाला समय स्पेस में बहुत सारी नई संभावनाएं लेकर आ रहा है. भारत नई ऊंचाइयों को छूने वाला है. देश गगनयान, स्पैडेक्स और चंद्रयान-4 जैसे कई अहम मिशन की तैयारियों में जुटा है. हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिक अपने नवाचार से देशवासियों को नए गर्व से भरने वाले हैं.