Ajab Gajab: दुनिया के तमाम देशों में हर इंसान चार पारंपरिक मौसमों का अनुभव करता है. इसमें वसंत, ग्रीष्म, शरद और सर्दी का मौसम शामिल है. ये ऋतु देश के विभिन्न हिस्सों में भौगोलिक स्थिति के कारण काफी भिन्न होता है. कुछ क्षेत्रों में लागातार गर्मी का अनुभव होता है. कुछ हिस्सों में लगातार वर्षा या कड़ाके की ठंड का अनुभव होता है. अगर हिंदी कैलेंडर के अनुसार बात करें तो हम 6 ऋतुओं को मानते हैं. वसंत, ग्रीष्म, मानसून, शरद, पूर्व-शीतकालीन और सर्दी. वहीं, चीनी कैलेंडर में 24 ऋतुएं बनाई गई हैं. इन सब के बीच हम अगर आप से ये कहें कि एक ऐसा भी देश हैं जहां पर 72 ऋतुएं हैं. इसके बारे में शायद ही आप जानते होंगे.
दरअसल, जापान में विशेष रूप से माइक्रो-मौसम की अवधारणा के साथ ऋतुओं को तय किया गया है. इसे “को” के नाम से जाना जाता है. बताया जाता है कि हर “को” पांच दिनों तक चलता है. ये किसी संगीत की रचना के जैसे जापान के इकोसिस्टम की बारीकियों को दर्शाता है. बता दें कि माइक्रो मौसम प्राकृतिक घटनाओं से भरा हुआ है. यानी कि गेहूं का पकना या बांस की कोपलों का निकलना इसमे शामिल है. जापानी लोग मानते हैं कि हर माइक्रो मौसम नए अवसरों और अनुभवों की शुरुआत करता है.
जानकारी दें कि छठी शताब्दी में सबसे पहले इसे कोरिया में फॉलो किया गया था. जापानी माइक्रो मौसम शुरू में उत्तरी चीन में जलवायु और प्राकृतिक परिवर्तनों से प्राप्त हुए थे. बताया जाता है कि एक बार एक खगोलशास्त्री ने प्रकृति के आधार पर सभी ऋतुओं का सटीक नाम देने का प्रयास किया था. हालांकि आधुनिक कैलेंडर आने के बाद भी ये पुरानी पंरपरा जापान में आज भी लागू है. खास बात ये है कि वहां के किसान और मछुआरे पुराने कैलेंडर और परंपरा पर भरोसा करते हैं.
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