Positive News: पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए तमाम तरीके अपनाए जाते हैं. कई लोगों की कहानी ऐसी होती है, जिससे दूसरों को प्रोत्साहन मिलता है. आज के समय में जहां एक ओर लोगों के पास खुद के लिए समय नहीं है, तो वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी लोग हैं जो व्यस्त होने के बाद भी प्रकृति को समय देते हैं. आज हम आपके लिए एक ऐसे ही शिक्षक कहानी लेकर आए हैं, जिसे जानने के बाद आपको भी नेचर से लगाव हो जाएगा और आप इस शिक्षक की तारीफ करते नहीं थकेंगे.
दरअसल, उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के रहने वाले एक शिक्षक अपनी बागवानी को लेकर इन दिनों काफी चर्चा में हैं. आलम ये है कि उनकी बागवनी के शौक के चर्चे समूचे क्षेत्र में है. हम बात कर रहे हैं चंद्र मोहन द्विवेदी की, जो पेशे से तो शिक्षक हैं, लेकिन उन्हें बागवानी करने का भी शौक है. शौक भी ऐसा है कि जबतक वो पेड़ पौधे और फूलों के बीच में प्रतिदिन कुछ वक्त ना बीता लें, उनको सुकून नहीं मिलता है.
घर को बनाया बागीचा
शिक्षक ने अपने घर को ही बागीचा बना दिया है. घर के चारों ओर पेड़ पौधे लगाएं हैं. वहीं, घर की छत को भी फूलों के पौधों से ढका है. ऐसा शौक उनके मन में कहा से आया इस बात को लेकर उन्होंने जानकारी दी. एक समाचार चैनल से साक्षात्कार के दौरान उन्होंने बताया कि बलिया जिले में 80–90 के दशक में एक फूलों की प्रदर्शनी लगी थी. जहां जाने के बाद पौधों के प्रति मन में प्रेम भर गया. शिक्षक का कहना है कि आज कहीं भी बाहर जाने के बाद इन पौधों की याद आने लगती है. वहीं, उनका कहना है कि इन पौधों के बिना रहना अच्छा नहीं लगता है.
कैसे की जाती है पौधों की देखरेख
आपको बता दें कि इस शिक्षक ने अपने घर के सामने से लेकर छत तक तमाम प्रकार के पौधे लगा रखें हैं. विभिन्न प्रकार के पौधों की निगरानी की जाती है. जरुरत के हिसाब से इन पौधों में डालने के लिए खाद बनाई जाती है. हालांकि आवश्यकता के हिसाब से खाद बाहर से भी लाई जाती है. अनुमानित तौर पर साल भर में इन पौधों की देखरेख में लगभग ₹15,000 का खर्चा आता है. शिक्षक का कहना है कि घर पर लगभग 600 से अधिक पौधे लगाए गए हैं.
गौरतलब है कि इस बागवानी में अनेकों पौधे लगाए गए हैं. इन पौधों से अगल- बगल का पर्यावरण सुगंधित और शुद्ध रहता है. ये बागवानी लोगों के बीच चर्चा का विषय है. इतना ही नहीं लोग इस बागवानी को देखने के लिए भी आते हैं.
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