Cloudburst: पहाड़ों पर बादल फटने जैसी घटनाएं अक्सर सामने आती है. ये एक प्राकृतिक आपदा है जो खासतौर पर बरसात के मौसम में देखने को मिलती है. लोगों के मन में हमेशा से ये सवाल रहा है कि क्या सच में बादल फटता है और फटता भी है तो कैसे फटता है? बादल फटने से क्या होता है? तो आज हम आपके इन्हीं सारे सवालों का जवाब देने जा रहे है चलिए जानते है.
क्यों फट जाते हैं बादल?
दरअसल, जब ज्यादा नमी वाले बादल एक ही जगह पर इक्ट्ठे हो जाते है तो इनमें मौजूद पानी की बूंदें साथ मिल जाती हैं जिससे बादल का भार बढ़ जाता है. बादलों के एक साथ मिलने के वजह से पानी का घनत्व भी बहुत ज्यादा हो जाता है और फिर एक समय बाद पानी जमीन पर आना शुरू हो जाता है. ये स्थिति बारिश से काफी अलग होती है. अधिकांश जगहों पर बादल फटने की घटनाएँ गरज के साथ होती हैं. साथ ही इसमें हवा के तीव्र झोंके भी होते हैं.
कैसे फटते हैं बादल?
जब भी बादल फटा है तो इक्ट्ठे हुए बादल तेजी से पानी तो निकलने लगता है. हालांकि इस स्थिति में भी बारिश की तरह ही पानी जमीन पर आता है, लेकिन इसकी स्पीड काफी तेज होती है. इस दौरान बहुत तेज मूसलाधार बारिश होती है. खास बात तो ये है कि ये बारिश सीमित क्षेत्र में होती है. माना जाता है कि कई बार 100 मिलीलीटर की स्पीड से भी बारिश होने लगती है. इस प्राकृतिक घटना को ‘क्लाउडबर्स्ट’ या ‘फ्लैश फ्लड’ भी कहा जाता है.
पहाड़ों पर क्यों ज्यादा फटते हैं बादल?
आपको बता दें कि पानी से भरें बादल जब हवा के साथ चलते है तो अक्सर पहाड़ों की ऊचाई अधिक होने के वजह से वह आगे नहीं बढ़ पाते और वो पहाड़ों के बीच ही फंस जाते है. पहाड़ों के बीच फंसते ही बादल पानी के रूप में परिवर्तित होकर जमीन पर गिरने लगती है. चूकि बादलों का घनत्व इतना ज्यादा होता है कि मूसलाधार बारिश शुरू हो जाती है.
बादल फटने से क्या होता है?
बादल फटने के वजह से नदी, नालें अचानक उफान पर आ जाते है और बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न हो जाते है. वहीं, पहाड़ों पर ढ़लान वाले रास्ते होते हैं, जिससे पानी रुक नहीं पाता और तेजी से नीचे की ओर बहता है. इस वजह से काफी नुकसान का सामना करना पड़ता हैऔर जानमाल के हानि की भी घटनाएं सामने आती है.