Continents rising : धरती के नीचे छिपे रहस्या से उठा पर्दा, जानिए क्यों उठ रहे महाद्वीप

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Continents rising: पृथ्वी के नीचे उठ रहीं लहरों और बढ़ते महाद्वीपों को लेकर वैज्ञानिकों ने बड़ा खुलासा किया है. दरअसल, इंग्लैंड के साउथहैम्प्टन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने प्लेट टेक्टोनिक्स का अध्ययन किया, जिसमें कहा गया है कि टेक्टोनिक प्लेटें अक्सर टूट जाती हैं जिससे धरती के अंदर शक्तिशाली लहरें उठने लगती हैं.उन्‍होंने कहा कि टेक्टोनिक प्लेटों के टुटने के वजह से महाद्वीपीय सतहें ऊपर उठती हैं, कभी-कभी तो ये सतहें एक किलोमीटर से भी अधिक ऊपर तक उठ जाती हैं.

विशाल चट्टानों को उठाती है महाद्वीपीय दरारें

वैज्ञानिकों का कहना है कि महाद्वीपीय दरारें विशाल चट्टानों को उठाती हैं, जिसका एक उदाहरण पूर्वी अफ़्रीकी रिफ्ट वैली और इथियोपियाई पठार को अलग करने वाली दीवारें भी है. उन्‍होंने बताया कि ये खड़ी चट्टानें अक्सर महाद्वीपों के मजबूत और स्थिर केंद्रों से उठने वाले आंतरिक पठारों को घेरती हैं. हालांकि ये दोनों ही लैंडस्केप फीचर्स आमतौर पर 1-10 करोड़ साल के अंतर पर बनती हैं. ऐसे में वैज्ञानिको का मानना है कि इनका निर्माण अलग-अलग हुआ है, जिन्हें अलग-अलग प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ा है.

भारत का पश्चिमी घाट भी उठा ऊपर

वहीं, एक रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों के इस अध्‍ययन के लिए धरती के आखिरी सुपरकॉन्टीनेंट के टूटने के बाद बनी खाई दीवार की भी जांच पड़ताल की गई. जिनमें से एक दीवार भारत में भी है, जो पश्चिमी घाट के नाम से जाना जाता है. यह दो हजार किलोमीटर लंबी है, जबकि ब्राजील का हाईलैंड प्लैट्यू 3000 किलोमीटर लंबा, दक्षिण अफ्रीका में सेंट्रल प्लैट्यू 6000 किलोमीटर लंबा है. अर्थात यानी इन पठारों के नीचे के हिस्से कई किलोमीटर ऊपर उठे हैं. जिसके पीछे की वजह मैंटल में चली लहर है.

इस वजह से उठती है लहरें

हालांकि अध्‍ययन में वैज्ञानिकों ने दावा किया कि टीम ने टोपोग्राफिक नक्शों से इन जगहों का मिलान किया था. उस वक्‍त पता चला था कि ये महाद्वीपों के ऊपर उठते समय अलग होने के कारण बने हैं, क्योंकि ऊपर उठने वाले महाद्वीपों से डिस्टर्बेंस होती है और इसकी वजह से तेज लहरें उठती हैं.

महाद्वीपों के सतहों पर भी पड़ता है प्रभाव

उन्‍होंने कहा कि ये लहरें अंदर दौड़ती हैं, जिसके वजह से ही ये पठार धीरे धारे ऊपर उठते हैं. उन्‍होंने बताया कि ये पठारें हर दस लाख साल में ये 15 से 20 किलोमीटर बढ़ते हैं, जिसके कारण इनका आकार भी बदलता रहता है. वैज्ञानिकों ने कहा कि इन महाद्वीपों के टूटने से केवल पृथ्वी की गहरी परतें ही नहीं प्रभावित होती, बल्कि महाद्वीपों के सतहों पर भी इसके गहरें प्रभाव  देखने को मिलते है, जिन्हें पहले स्थिर माना जाता था.

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