ना सबूत पर सुनवाई ना कचहरी के चक्कर, इस पंचायत में लकड़ी तोड़कर निपटा दिया जाता है विवाद, जानिए कहानी

Abhinav Tripathi
Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Ajab Gajab News: अपना देश भारत तमाम संस्कृति सभ्यताओं वाला देश है. देश के कुछ कोने से कुछ ऐसी खबरे सुनने को मिलती हैं, जिनपर यकीन कर पाना थोड़ा कठिन होता है. आज हम एक ऐसी परंपरा के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जिसको जानने के बाद आप हैरान रह जाएंगे.

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र धुलकोट के लोग आज भी किसी भी विवाद के निपटारे के लिए कोर्ट कचहरी नहीं जाते हैं. विवादों का निपटारा यहां पर लकड़ियों के माध्यम से कर दिया जाता है, सबसे खास बात है कि ये परंपरा विगत 100 सालों से चली आ रही है.

दरअसल, एमपी के बुरहानपुर जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र धुलकोट में एक पंरपरा पिछले 100 सालों से चली आ रही है. इसके तहत अगर इस समाज के लोगों में किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है, तो लोग कोर्ट कचहरी जाने की बजाए पंचायत में मामलों को रखते हैं. पंचायत में पंचों और पटेल द्वारा समझौता कराया जाता है. ये समाज आज भी इस पुरानी परंपरा का पालन कर रहा है. इस परंपरा से समाज में एकजुटता का माहौल बना रहता है.

कैसे होता है विवादों का निपटारा
आपको बता दें कि बारेला समाज में छोटे से लेकर बड़े विवादों का समझौता पंचायात बुलाकर ही किया जाता है. इस समाज के लोग पारिवारिक विवाद, शादी संबंधी विवाद, जमीनी विवाद इत्यादि किसी भी प्रकार के विवाद के लिए पंचायत बुलाते हैं. इसके बाद उस विवाद पर पंचायत में निवारण निकाला जाता है. जैसे ही समझौता हो जाता है लोग लकड़ी तोड़कर गले मिलते हैं. वहीं, एक दूसरे के हाथ जोड़कर पंचों को सेव बांटते हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बताया जाता है कि ये परंपरा लगभग 100 साल पुरानी है. जो आज भी समाज में जीवित है. समाज में किसी भी प्रकार का विवाद होने पर उसको पंचायत में रखा जाता है. पंचायत में उस पर फैसला किया जाता है. वहीं, सुलह भी कराई जाती है. सुलह समझौते के अवसर पर एक छोटी सी लकड़ी तोड़ी जाती है. लकड़ी तोड़ने का काम पटेल समाज द्वारा किया जाता है. जिसके बाद दोनों पक्ष एक दूसरे के हाथ जोड़कर विवाद से दूर होते हैं. हाल ही में एक मामला धूलकोट से सामने आया था, जहां पंचायत ने मिल कर विवाद को सुलझाया था.

थाने नहीं जाते लोग
उल्लेखनीय है कि यहां के समाज के लोगों का कहना है कि किसी भी प्रकार के विवाद के लिए कोई भी पुलिस थाने जाकर शिकायत नहीं करता है. इसके स्थान पर पंचायत में ही इस समस्या को बताया जाता है, जहां पटेल और पंच गण इस समस्या पर सुनवाई कर समझौता कराते हैं.

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