Ajab Gajab News: परिवार से उठा भरोसा, तो बुजुर्ग ने जिंदा रहते खुद का किया तेरहवीं और पिंडदान

Shubham Tiwari
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Sub Editor The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Ajab Gajab News: रविकांत शर्मा/एटा: सोशल मीडिया पर कई ऐसी अजब-गजब खबरें सामने आती हैं, जो चारों तरफ सुर्खियां बटोरती हैं. कई खबरें तो ऐसी होती हैं, जो लोगों को हैरान कर देती हैं. ऐसी ही एक खबर उत्तर प्रदेश के एटा जिले से सामने आ रही है, जिसे पढ़कर आप सोच में पड़ जाएंगे.

जानिए मामला

दरअसल, यह अजीबोगरीब मामला उत्तर प्रदेश के एटा जिले से सामने आया है. जहां परिवार वालों से कोई उम्मीद न होने पर एक 55 वर्षीय बुजुर्ग ने जिंदा रहते ही खुद की तेरहवीं और पिंडदान कर दी. यही नहीं इस बुजुर्ग ने अपने तेरहवीं का भोज भी करवा दिया. इस भोज में उसने 700 लोगों को भोजन कराया.

जानिए क्यों लिया ये फैसला

बता दें कि उत्तर प्रदेश के एटा जनपद के सकीट थाना क्षेत्र के 55 वर्षीय हाकिम सिंह की शादी नहीं हुई है. हाकिम सिंह अपने घर में अपने भाई और भतीजों के साथ रहते हैं. उन्होंने हाकिम सिंह की जमीन पर भी कब्जा कर लिया है और मारपीट भी करते हैं. इसलिए अपने परिजनों से कोई उम्मीद न होने के कारण उनको विश्वास हो गया कि उनके मरने के बाद कोई भी उनकी तेरहवीं संस्कार नहीं करेगा. इसलिए उसने अपने जीते जी ही अपनी तेरहवीं और पिंडदान करने का निश्चय किया.

रीति-रिवाज से की खुद की तेरहवीं

बीते 16 जनवरी को अपने जिन्दा रहते ही हाकिम सिंह ने अपनी तेरहवीं कर दी और पिंड दान किया. हाकिम सिंह ने पूर्व योजना के तहत विधिवत धार्मिक रीति रिवाज से अपनी तेरहवीं कि और पिंडदान के कार्यक्रम को संपन्न किया. उन्होंने गांव के और आस पास के 700 लोगों को मृत्यु भोज भी करवाया. जो लोग भी इस खबर को सुन रहे हैं आश्चर्य में पड़ जा रहे हैं कि कोई जिंदा व्यक्ति भला खुद की तेरहवीं क्यों करेगा.

चैन से मर सकेंगे हाकिम सिंह!

मिली जानकारी के मुताबिक, 55 साल के हकीम सिंह 5 भाई हैं. हाकिम सिंह की शादी नहीं हुई. शादी न होने पर ये बिहार से किसी महिला को लेकर आये थे, जो बाद में चली गयी. जमीन पर भाई भतीजों ने कब्जा कर लिया है और उन्होंने मारपीट कर उसका हाथ भी तोड़ दिया है. उसके अतिरिक्त 10 बिघा जमीन और है. बीते दिनों इनकी तबियत बिगड़ी और इनको लगा कि ये बचेंगे नहीं तो इन्होंने आनन फानन में अपनी 10 बिस्वें जमीन को 50 हजार रुपये में बेंच दिया और आज उसी रुपये से अपनी तेरहवीं का मृत्यु भोज कर दिया और पिंड दान भी किया. हाकिम सिंह का कहना है कि अब ये चैन से मर सकेंगे और अब इनको ये भय भी नहीं सताएगा कि मरने के बाद इनकी तेरहवीं भी होगी या नहीं.

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