Holi 2024: दुनियाभर में मशहूर है ब्रज की होली, लट्ठ और लड्डू की होती है बारिश

Raginee Rai
Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Must Read
Raginee Rai
Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Holi 2024: इस साल रंग और उमंग से भरी होली का त्‍योहार 25 मार्च को मनाया जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात होलिका दहन किया जाता है. होलिका दहन के अगले दिन होली का त्‍योहार मनाया जाता है. यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है. साथ ही होली का त्‍योहार भाईचारे, आपसी प्रेम के त्योहार के रूप में भी देखा जाता है. होली का एक अलग ही अंदाज ब्रज मंडल में दिखता है. यहां लगभग 40 दिनों तक होली अलग-अलग जगह पर अलग-अलग ढंग से मनाने की परंपरा है.

आज की खबर में हम बात कर रहे हैं बरसाना में मनाई जाने वाली होली की. यहां मनाई जाने वाली होली सबसे अलग होती है. जी हां, बरसाने की लड्डू और लट्ठमार होली दुनियाभर में मशहूर है. यही कारण है कि यहां न सिर्फ होली खेलने बल्कि देखने के लिए हजारों-हजार लोग देश-विदेश से पहुंचते हैं. आइए जानते हैं कि आखिर कब खेली जाएगी लड्डू और लट्ठमार होली.

कब खेली जाएगी लट्ठमार होली

बरसाना की रंगीली गली में मनाई जाने वाली लट्ठमार होली इस बार 18 मार्च को बरसाना और 19 मार्च को नंदगांव में मनाई जाएगी. लट्ठमार होली को भगवान कृष्‍ण और राधा रानी के प्रेम का प्रतीक माना जाता है.

मान्यता है कि द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण ने राधा रानी और गोपियों के साथ इस होली की परंपरा की शुरुआत की थी. तब से चली आ रही लट्ठमार होली को खेलने और इसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से बरसाना पहुंचते हैं. इस होली में आज भी नंदगांव के पुरुष और बरसाने की महिलाएं शामिल होती हैं. इसमें महिलाएं पुरुषों पर लाठियां भांजती हैं तो वहीं पुरुष उनसे बचने के लिए ढाल का इस्‍तेमाल करते हैं.

किस दिन होगी लड्डूमार होली

लट्ठमार होली की तरह ही बरसाना में लड्डूमार होली भी विश्व विख्‍यात है. लाडिली जी के मंदिर में हर वर्ष लड्डूमार होली आयोजित की जाती है. लड्डूमार होली लट्ठमार होली से एक दिन पहले खेली जाती है, जिसके लिए लाडिली जी के महल से श्रीकृष्ण प्रभु के नंदगांव में फाग का निमंत्रण दिया जाता है. उसके बाद नंदगांव से पुरोहित रूपी सखा लाडली जी के महल में स्वीकृति का संदेश भेजता है.

मान्यता है कि वहां पुरोहित का भव्य स्वागत होता है और उसे खाने के लिए ढेर सारे लड्डू दिए जाते हैं. इस लड्डूमार होली को खेलने से पहले लाडली जी के मंदिर में लड्डू अर्पित किए जाते हैं. इस दिन यहां देखते ही देखते भक्‍तों के बीच कई टन लड्डू लुटा दिए जाते हैं.

लड्डूमार होली की शुरुआत

मान्यता के अनुसार, जब नंदगांव से आए पुरोहित को खाने के लिए लड्डू दिए तो उसी समय कुछ गोपियों ने पुरोहित को गुलाल लगा दिया. उस समय पुरोहित के पास गोपियों को लगाने के लिए गुलाल नहीं था, तो उसने पास रखें लड्डू ही गोपियों पर फेंकने शुरू कर दिए. तभी से लड्डूमार होली की परंपरा निभाई जाती है. लड्डू मार होली वाले दिन कई टन लड्डू लुटा दिए जाते हैं. इस दिन श्री राधा-कृष्ण की भक्ति के रंग में रंगने और लड्डू प्रसाद को पाने के लिए हजारों की संख्या में लोग बरसाना पहुंचते हैं.

ये भी पढ़ें :- Phulera Dooj 2024: फुलेरा दूज के दिन इन कामों से करें परहेज, वरना प्रेम संबंधों में आएगी खटास

 

Latest News

पाकिस्तान और तुर्की के बीच बढ़ रही नजदीकियां, तोप-गोला बारूद देकर पाक सेना को मजबूत करेंगे एर्दोगान

Pakistan-Turkiye Relations: पाकिस्तान के प्रति तुर्की की राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगान का लगाव अब खुलकर सामने आ रहा है,...

More Articles Like This