International Space Station: अंतरिक्ष की कोई भी तस्वीरें या वीडियो लोगों तक पहुंचायी जाती है, तो इसमें अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की अहम भूमिका होती है, क्योंकि दुनिया भर के तमाम देशों के वैज्ञानिक इसी में रहकर अंतरिक्ष गतिविधियों का अध्ययन करते है.
यह अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पृथ्वी की सतह से करीब 400 किलोमीर ऊपर स्थित है, जो हर 90 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर लगाता है. इसी के माध्यम ये अंतरिक्ष की तमाम घटनाओं को रिकार्ड किया जाता है. लेकिन अब इसे गिराने की तैयारी की जा रही है. ऐसे में आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि ऐसी क्यों किया जा रहा है. यदि इसे गिरा दिया गया तो क्या अब अंतरिक्ष के लिए किया जा रहे तमाम मिशनों पर ब्रेक लग जाएगा. तो चलिए आपके इन सभी सवालों के बारे में विस्तार से जानते है.
नासा ने किया स्टेशन को गिराने के प्लान का खुलासा
दरअसल, यह पहले से निर्धारित था कि एक न एक दिन इस स्टेशन का कार्यकाल खत्म हो जाएगा. तब इसे गिराने की आवश्यकता होगी. ऐसे में अब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इस स्टेशन को गिराने के प्लान का खुलासा किया है.
नासा ने कहा कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर तीन दशक से एस्ट्रोनॉट जाते रहे हैं और प्रयोग करते रहे हैं. लेकिन अब साल 2031 में हम इसे खो देंगे. 430 टन वजनी इस अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को गिराने के लिए एलन मस्क की स्पेसएक्स कंपनी को चुना गया है. इस कंपनी के द्वारा एक विशेष यान को तैयार किया जा रहा है, ताकि इस स्टेशन को प्रशांत महासागर में गिराया जा सके. जिसमें 843 मिलियन डॉलर यानी करीब 7 हजार करोड़ रुपये के खर्च होने की उम्मीद है.
The delicate craft of docking your spaceship with the International Space Station. pic.twitter.com/a5BanvuNyQ
— Historic Vids (@historyinmemes) February 1, 2024
क्यों अंतरिक्ष स्टेशन को गिराना जरूरी?
हालांकि नासा के इंजीनियरों का कहना है कि यह स्पेस स्टेशन अभी काफी मजबूत है, लेकिन इसका कार्यकाल समाप्त हो रहा है, ऐसे में हमें इसे धरती पर उतारना होगा. ऐसे में अब आप सोच रहें होंगे कि इसका कार्यकाल खत्म हो जाएगा तो ये खुद ही नीचे आ जाएगा, इसके लिए इतने पैसे खर्च करने की क्या जरूरत है. तो आपको बता दें कि ये इतनी ऊंचाई से गिरा तो धरती पर रहने वाले लोगों के लिए बड़ा खतरा हो सकता है. यही वजह है कि इसे प्रशांत महासागर में गिराने का फैसला लिया गया है.
कौन देगा इसका खर्च
फिलहाल, अमेरिका और रूस इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का नेतृत्व कर रहे हैं. वहीं, यूरोप, कनाडा और जापान उनके सहायक की भूमिका में हैं. वहीं, ये पांचों देश मिलकर ही स्पेस स्टेशन को गिराने का खर्चा भी देंगे. दरअसल, अंतरिक्ष यान को प्रशांत महासागर में प्वाइंट निमो नामक एक दूरस्थ स्थान पर भेजा जाएगा. ऐसे में नासा को उम्मीद है कि जब तक आईएसएस को आकाश से बाहर लाया जाएगा, तब तक अनेक प्राइवेट कम्पनियां वाणिज्यिक अंतरिक्ष स्टेशनों का प्रक्षेपण शुरू कर देंगी.
इसे भी पढ़ें:-NASA: पृथ्वी से टकराएगा एस्ट्रॉयड, मच सकती है तबाही! नासा ने तारीख बताई