UNESCO के लिस्ट में शामिल मध्य प्रदेश की ये ऐतिहासिक धरोहरें, जानिए इनकी खासियत

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

MP 6 Heritage in UNESCO: मध्‍य प्रदेश अपनी प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक इमारतो के लिए विश्‍वभर में मशहूर है.  अब यूनेस्‍कों के विश्‍व हेरिटेज सेंटर ने मध्‍य प्रदेश के 6 ऐतिहासिक धरोहरों को अपनी अस्‍थायी लिस्‍ट में शामिल किया है. इसके के लिए मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने राज्य के लोगों को बधाई दी, उन्होंने सोशल मीडिया पर इसकी घोषणा की. ऐसे में आइए जानते हैं यूनेस्‍को के लिस्‍ट में शामिल इन स्‍थलों की क्‍या खासियत है…

ग्वालियर किला

अपनी अभेद्य सुरक्षा के लिए जाना जाने वाला ग्‍वालियर किला एक पहाड़ी पर स्थित है. यहां से शहर और आसपास का नजारा मनमोह लेता है. यह किला 10 मीटर ऊंची दीवारों के साथ उत्‍कृष्‍ट मूर्तियों व उल्‍लेखनीय वास्‍तुकला से सुसज्जित है. इतिहासकारों की मानें तो ग्वालियर किले की सबसे पहली नींव छठी शताब्दी ईस्वी में राजपूत योद्धा सूरज सेन ने रखी गई थी. विभिन्न शासकों द्वारा आक्रमण और शासन करने के बाद, तोमरों ने 1398 में इस किले पर कब्ज़ा कर लिया. तोमरों में सबसे फेमस मान सिंह थे. उन्होंने ही किले परिसर में कई स्मारक बनवाया.

धमनार ऐतिहासिक समूह

मंदसौर जिले के धमनार गांव में धमनार गुफाएं स्थित हैं. पत्‍थरों को काटकर बनाई गई इस जगह पर 51 गुफाएं, स्तूप, मार्ग चैत्य और सघन आवास हैं और इनका निर्माण 7वीं शताब्दी ईस्वी में किया गया था. इस स्थल में बैठे हुए और निर्वाण मुद्रा में गौतम बुद्ध की विशाल प्रतिमा है. उत्तरी किनारे पर चौदह गुफाएँ ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, जिनमें बारी कचेरी यानी बड़ा प्रांगण और भीमा बाज़ार उत्कृष्ट हैं.

भोजेश्वर महादेव मंदिर, भोजपुर

भोपाल से लगभग 28 किमी दूर स्थित, भोजेश्वर मंदिर भगवान शिव की मंदिर है. इसे राजा भोज ने 1010 से 1053 ईस्वी के बीच निर्माण का आदेश दिया था. हालाँकि, मंदिर पूर्ण रूप से तैयार नहीं हुआ. कहा जाता है कि गर्भगृह में एक ही पत्‍थर से विशाल शिवलिंग उकेरा गया है. इसकी अद्भुत वास्तुकला के कारण इसे ‘पूर्व का सोमनाथ’ की उपाधि दी गई.

रॉक आर्ट साइट ऑफ द चंबल वेली

चंबल बेसिन और मध्य भारत में विभिन्न ऐतिहासिक काल और सभ्यताओं से उत्पन्न रॉक कला स्थलों की दुनिया की सबसे बड़ी सघनता है. चंबल घाटी में प्राकृतिक चट्टानों पर शैल कलाएं पाई गई है, जो पुरात्‍व में रुचि रखने वाले टूरिस्‍ट को आकर्षित करती है. चंबल बेसिन में रॉक कला स्थल कलात्मक शैलियों और सांस्कृतिक प्रभावों का मिश्रण प्रदर्शित करते हैं, जो क्षेत्र के गतिशील इतिहास को दिखाते हैं.

खूनी भंडारा, बुरहानपुर

खूनी या कुंडी भंडारा बुरहानपुर में मौजूद है, जो 407 साल पहले बनाई गई थी. यह आज भी संचालित है और लोगों के लिये उपयोगी है. इसका निर्माण 1615 में अब्दुर्रहीम खानखाना ने करवाया था.

गोंड स्मारक, मंडला, रामनगर

मंडला का रामनगर गोंड राजाओं का गढ़ हुआ करता था. 1667 में गोंड राजा हृदय शाह ने नर्मदा नदी के किनारे मोती महल बनवाया था. सीमित संसाधन और तकनीक के बावजूद पांच मंजिला महल राजा की इच्छाशक्ति की गवाही देता है. समय के साथ दो मंजिलें जमीन में दब गई हैं लेकिन तीन मंजिलें आज भी दिखती है.

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