भारत में इन जगहों पर अलग-अलग परंपराओं के साथ मनाया जाता है नया साल, जानिए कहां की क्या है संस्कृति

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

New Year 2024: यह साल अब करीब समाप्‍त ही होने वाला है और हम जल्‍द ही साल 2024 का स्‍वागत करने वाले है. नव वर्ष के जश्‍न को लेकर हर किसी के मन में उत्‍साह बना हुआ है. ऐसे में लोग अभी से न्‍यू ईयर सेलिब्रेशन के तैयारियों में जुटा हुआ है. ऐसे में भारत में कई ऐसे देश है जहां अलग अलग तरीके से नव वर्ष को सेलिब्रेट किया जाता है.

आपको बता दें कि ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 1 जनवरी (New Year 2024) को ईसाई धर्म के लोग नव वर्ष का जश्‍न मनाते है. वहीं बात करें हिंदू धर्म की तो चैत्र महिने के शुरूआत में नया साल मनाया जाता है. ऐसे ही नव वर्ष को मनाने के लिए अलग अलग तिथियों के तरह ही अलग अलग संस्कृति और परंपराएं भी होती हैं. ऐसे में ही चलिए जानते है कि किन जगहों कैसे नए साल का जश्‍न मनाया जाता है.

New Year 2024: बैसाखी – पंजाब

मुख्‍य रूप से नया साल फसलों की कटाई के समय मनाया जाता है. ऐसे में ही बैसाखी पूरे उत्तर भारत में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा फसल उत्सव है, जिसका पंजाब में विशेष महत्‍व होता है. पंजाब के सिख समुदाय के लोग वैशाख महीने के पहले दिन की याद में इस दिन को सिख खालसा के गठन के रूप में मनाते है. यह मुख्य रूप से खालसा के जन्मस्थान और अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में पूरे धूम धाम से मनाया जाता है.

जुड़ शीतल – बिहार, झारखंड

जुड़ शीतल को मैथिली नव वर्ष के रूप में भी जाना जाता है, यह बिहार, झारखंड और यहां तक ​​कि नेपाल में मैथिलियों के द्वारा मनाया जाता है. मैथिली नव वर्ष आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक 14 अप्रैल को मनाया जाता है.

बोहाग बिहू – उत्तर पूर्वी राज्य

बोहाग बिहू को रंगाली बिहू के नाम से भी जाना जाता है जो असम में बैसाखी और पुथंडु के दिन पड़ता है. इस दिन नई फसल का जश्न मनाते हुए, ढेर सारी मिठाईयों और उपहारों का आदान-प्रदान करते है. खास बात ये है कि बोहाग बिहू कई अलग-अलग परंपराओं के साथ लगातार तीन दिनों तक मनाया जाता है. वहीं, बिहू नृत्य लोगों के लिए एक उत्सव भी होता है.

गुड़ी पड़वा – महाराष्‍ट्र

गुड़ी पड़वा महाराष्‍ट्र में चैत्र महीने के पहले दिन नए साल के रूप में मनाया जाता है. एक ‘गुड़ी’, रेशम की साड़ी या कपड़े की एक सुंदर व्यवस्था जिसे ऊपर एक ‘लोटा’ से बांधा जाता है, और फिर नीम और आम से बनी मिठाइयों और मालाओं से सजाया जाता है. महाराष्‍ट्र में गुड़ी पड़वा का दिन छत्रपति शिवाजी महाराज की अपने शत्रुओं पर और शालिवाहन की शकों पर विजय का प्रतीक है.

उगादि – कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश

उगादि या युगादि आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक का नया साल का उत्सव है. उगादि इन क्षेत्रों में हिंदू चंद्र-सौर कैलेंडर के अनुसार चैत्र माह के पहले दिन मनाया जाता है. इस दिन पारंपरिक मिठाइयाँ और ‘पचड़ी’ (मीठा शरबत-जो कच्चे आम और नीम के पत्तों से बनाई जाती है), उगादी भोजन के साथ परोसी जाती है. उगादि को नई शुरुआत का त्योहार माना जाता है, इसलिए लोग इस दिन नए कपड़े खरीदते हैं और दोस्तों और परिवार के साथ खूब अच्छा खाना खाते हैं.

जमशेदी नवरोज़

नोवरूज़ ईरानी नव वर्ष है, जो दुनियाभर में कई नृवंशविज्ञान समूहों के द्वारा मनाया जाता है. नवरो़ज भारत में पतेती के अगले दिन पारसी लोग नव वर्ष के रूप में मनाते हैं.

विशु – केरल

विशु उत्सव केरल की प्रचुर भूमि में फसल की शुरुआत का प्रतीक है, विशु का त्‍योहार रोशनी और आतिशबाजी से भरपूर होता है. दिन की शुरुआत फसल के फलों, सब्जियों और मौसमी फूलों को दर्पण के सामने व्यवस्थित करने से होती है. इस व्यवस्था को विशु कानी भी कहा जाता है. इस दिन, भक्त प्रार्थना के लिए सबरीमाला अय्यप्पन मंदिर और गुरुवयूर कृष्ण मंदिर जाते हैं.

पोहेला बोइशाख – पश्चिम बंगाल

पोइला या पोहेला बोइशाख, वैसाख माह का पहला दिन होता है जिसे बंगाली नव वर्ष के रूप में मनाते है. इस दिन आपको पूरे राज्य में सांस्कृतिक उत्सव देखेने को मिलेंगे, जिसमें बंगाली लोग जमकर खरीदारी करेंगे और संगीत कार्यक्रम देखते है और उसमें शामिल होते है.

इस्लामी नववर्ष

इस्लामिक नया साल मुहर्रम के पहले दिन से प्रारंभ होता है, जो इस्लाम के द्वारा मनाए जाने वाले चंद्र हिजरी कैलेंडर का पहला महीना है. इस दिन को 622 ईस्वी में पैगंबर मुहम्मद के मक्का से मदीना प्रवास का प्रतीक माना जाता है, और इस यात्रा को हिजड़ा या हिजरी कहा जाता था.  यही वजह है किे इसका नाम भी ‘हिजरी कैलेंडर’ रखा गया है.

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