Pakistan: भारत के लगभग हर जिले, हर शहर में कोई न कोई मंदिर जरूर देखने को मिल जाता है. लेकिन आज हम भगवान भोलनाथ के एक ऐसे मंदिर के बारे में बात करने जा रहे है, जो भारत में नहीं बल्कि पाकिस्तान में मौजूद हैं. इस मंदिर की प्राचीनता का अनुमान इस बात से भी लगाया जा सकता है कि इसके महाभारत काल से भी जुड़ी कथाएं सुनने को मिलती हैं.
आपको बता दें कि ये मंदिर पाकिस्तान के चकवाल गांव से करीब 40 किलोमीटर दूर और लाहौर से करीब 280 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है. इस मंदिर का नाम कटासराज मंदिर है, जो हिंदूओं के प्रमुख आस्था का केंद्र है.
गिरे भगवान शिव के आंसू
ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव और देवी सती यहां पर रहते थे. ऐसे में अपने ही पिता द्वारा आयोजित कराए यज्ञ में जब अपमान के बाद देवी सती ने आत्मदाह कर लिया तो भगवान शिव इससे बहुत ज्यादा आहत हुए. इसी दौरान माता सती की याद में जब भगवान शिव के आंखों से आंसू गिरे थें, तो वह इसी स्थान पर गिरे, जिसके बाद यहां कुंड बन गया.यहां पर एक कुंड मौजूद है, जिसके आस पास कई सारे मंदिर हैं, जिन्हें कटासराज मंदिर कहा जाता है. कटास का अर्थ होता है: आखों में आंसू.
महाभारत काल से संबंध
कहा जाता है कि महाभारत काल में जब पांडव अपना जब कुछ हारने के बाद वनवास पर निकले थे उस दौरान वो लोग कुछ समय के लिए मंदिर के पास वह कुछ दिन तक ठहरे थे और यहीं पर जब द्रोपदी को प्यास लगी तो पांडव कटाक्ष कुंड से पानी लेने गए थे. हालांकि इस वक्त इस कुंड पर यक्ष का अधिकार था.
ऐसे में पानी लेने से पहले यक्ष ने पांडवों से सवाल किए, लेकिन 4 पांडवों ने बिना जवाब दिए कुंड का जल पी लिया, ऐसे में वो मूर्छित हो गए थे और आखिर में युधिष्ठिर ने जब अपने भाइयों को मूर्छित देखा तो यक्ष के सवालों का सही जवाब दिया था, जिसके बाद यक्ष ने चारों पांडवों को ठीक कर दिया था.
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