इस जीव को कभी छू भी नहीं पाती है कोई बीमारी, आखिर क्या है इसके पीछे का राज?

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Shark fish: धरती पर रहने वाले अधिकतर जीव कभी न कभी किसी न किसी बीमारी के शिकार तो हो ही जाते है, लेकिन एक ऐसा जीव है जिसे बीमारियां छू भी नहीं सकतीं और वो है शार्क. जी हा. आपको यह जानकर बेशक ही हैरानी हुई होगी, लेकिन समुद्र की गहराइयों में रहने वाली शार्क को जल्‍दी कोई बीमारी नहीं होती है. ऐसे में अब सवाल ये है आखिर क्‍यों वो जल्दी बीमार नहीं पड़ती है. तो चलिए बिना देर किए जानते है इसके बारे में सब कुछ…

शार्क का इम्यून सिस्टम

बता दें कि शार्क मछलियां अपने विशेष इम्यून सिस्टम के लिए जानी जाती हैं. इनके बारे में कहा जाता है कि ये मछलियां बहुत कम बीमार पड़ती हैं. वहीं, हाल ही में किए गए एक शोध से पता चला है कि शार्क मछलियों में कई बीमारियों और संक्रमणों के प्रति इनका इम्यून सिस्टम काफी मजबूत होता है.

क्यों मजबूत होता है शार्क का इम्यून सिस्टम?

इसके मजबूत इम्यून सिस्टम के पीछे की मुख्‍य वजह एक खास तरह का प्रोटीन है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, शार्क का इम्यून सिस्टम सामान्य मछलियों की तुलना में अलग होता है. इनकी कोशिकाएं विशेष रूप से एक प्रकार का खास प्रोटीन पैदा करती हैं, जिन्हें “एंटीबॉडी” कहा जाता है, जो बैक्टीरिया और वायरस के खिलाफ प्रभावी होते हैं.

इसके अलावा, एक अन्‍य “ट्रांसफेरिन” नाम का भी प्रोटीन भी होता है, जो आयरन को नियंत्रित करता है और सूजन को कम करने में मदद करता है. ये दोनों प्रोटीन शार्क का इम्यून सिस्टम काफी ज्यादा मजबूत कर देते हैं.

शॉर्क में ज्‍यादा प्रभावी होते हैं ये एंटीबॉडी

इतना ही नहीं, इनमें “जेडी-टी सेल” और “बायनर-एंटीबॉडी” जैसे खास तरह के एंटीबॉडी होते हैं, जो बैक्टीरिया और वायरस को पहचानने के साथ ही उन्हें निष्क्रिय करने में भी मदद करते हैं. वैसे तो ये एंटीबॉडी कई मछलियों में पाए जाते हैं, लेकिन शार्क की प्रतिरक्षा प्रणाली में ये एंटीबॉडी अन्य मछलियों की तुलना में ज्यादा प्रभावी होते हैं.

गहरे पानी में रहना भी एक कारण

वहीं, शार्क की लाइफस्‍टाइल के वजह से भी उसका इम्यून सिस्टम मजबूत हो जाता है. दरअसल, शार्क मछली अक्सर गहरे और ठंडे पानी में रहती हैं, जहां हानिकारक बैक्टीरिया और रोगाणुओं की संख्या बेहद कम होती है. साथ ही शार्क मछलियां अपने पर्यावरण में अनुकूलित होती हैं, जिससे वो हर तरह की स्थितियों का सामना कर सकती हैं.

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