Stephen Hawking: स्टीफन हॉकिंग हमेशा कहते थें कि कोई भगवान नहीं है और ना ही कोई ईश्वर दुनिया चलाता है. आखिर उनके ये बात कहने की वजह क्या थी? वो ईश्वर को क्यों नहीं मानते थें? क्या सच में दुनिया में कोई भगवान नहीं है? ऐसे ही तमाम सवालों के बारे में आज हम बात करने वाले है. लेकिन इससे पहले चलिए जानते हैं कि आखिर कौन थें स्टीफन हॉकिंग.
व्हीलचेयर पर गुजरी पूरी जिंदगी
बता दें कि स्टीफन हॉकिंग एक प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी थें. अपनी पीढ़ी के सबसे प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों में एक माने जाने वाले हॉकिंग का मार्च 2018 में 76 वर्ष की आयु में निधन हो गया. हॉकिंग को अंतरिक्ष से जुड़ी कई बड़ी खोजों का श्रेय दिया जाता है. हालांकि वह कुछ भी बोल पाने में असमर्थ थें. उनकी पूरी जिंदगी व्हीलचेयर पर ही बीती. उन्होंने बोलने के लिए खास मशीनों का सहारा लिया, जिसके माध्यम से वह संवाद करते थे.
स्टीफन हॉकिंग अपने आखिरी समय तक दिमागी तौर पर क्रियाशील रहे. दरअसल, जब उनका निधन हुआ तो वह एक किताब पर काम कर रहे थे. उनके निधन के बाद परिवारवालों ने उस किताब को पूरा करके इसे प्रकाशित कराया. जिसका नाम “ब्रीफ आंसर टू द बिग क्वेश्चन”, है, यह एक बेस्ट सेलर बुक है.
Stephen Hawking: क्यों भगवान नहीं होता
हॉकिंग का हमेशा से ही ईश्वर को लेकर मानना था कि भगवान जैसी कोई चीज नहीं होती. और उन्होंने अपनी किताब में इसे विस्तार से समझाया भी है. उन्होंने साफ कहा है कि कोई ईश्वर नहीं है. किसी ने ब्रह्मांड नहीं बनाया. हमारे भाग्य को कोई भी निर्देशित नहीं करता. ना ही कोई स्वर्ग है और ना मृत्यु के बाद जीवन. पुनर्जन्म में विश्वास सिर्फ इच्छाधारी सोच है. इसका कोई विश्वसनीय प्रमाण नहीं है. जब हम मरते हैं तो मिट्टी में वापस लौट जाते हैं.
दरअसल, स्टीफन हॉकिंग की आखिरी पुस्तक “ब्रीफ आंसर टू द बिग क्वेश्चन“10 विशाल प्रश्नों का एक संग्रह है, जो हॉकिंग से लगातार जीवनभर पूछे गए थे. यह पुस्तक इस सवाल के साथ शुरू होती है कि– क्या ईश्वर है?
ईश्वर केवल एक परिभाषा
उन्होंने किताब में लिखा है कि सदियों से यह माना जाता रहा हे कि मेरे जैसे विकलांग लोग भगवान द्वारा दिए गए अभिशाप के तहत जी रहे थे. शायद यह गलत है. मेरा यह मानना है कि प्रकृति के नियमों के अनुसार हर चीज को दूसरे तरीके से समझाया जा सकता है. यदि आप मेरी तरह विज्ञान में विश्वास करते हैं, तो आप मानते हैं कि कुछ नियम हैं जिनका हमेशा पालन किया जाता है. उन्होंने लिखा है कि ईश्वर का कोई प्रमाण नहीं है, ये सिर्फ परिभाषा है.
प्रकृति के नियमों को मानते थे…
उन्होंने लिखा कि हमें ब्रह्मांड की व्याख्या करने के लिए किसी ईश्वर की जरूरत नहीं है. प्रकृति के कुछ नियम है और वह उसी के तरह कार्य करती है. मनुष्यों द्वारा बनाए गए कानूनों के विपरीत प्रकृति के नियमों को तोड़ा नहीं जा सकता. प्रकृति के नियमों को स्वीकार करने के बावजूद उनका मानना था कि विज्ञान के अनुसार ब्रह्माण्ड अनायास ही शून्य से निर्मित हो गया.
ईश्वर की वैज्ञानिक परिभाषा
वैज्ञानिकों के अनुसार, ईश्वर एक मानवीय रूप से अलग शाश्वत ब्रह्मांडीय अस्तित्व हो सकता है, जो अंतरिक्ष की अनंतता, पदार्थ और ऊर्जा के सबसे गहरे सामान्य पदार्थ की प्रकृति, निरंतर गति के लिए जिम्मेदार है. हालांकि ये परिभाषा ईश्वर को एक शाश्वत ब्रह्मांडीय बुद्धिमत्ता के रूप में देखती है जो मल्टीवर्स की आत्मा के माध्यम से संचालित होती है जो हमारे ब्रह्मांड में जीवन का प्रसार करती है.
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