Divorce Temple: दुनिया अपने अंदर तमाम अजीबो गरीब रहस्य समेटे हुए है. इस बड़ी सी दुनिया के हर कोने की अपनी अलग ही बात हैं. कुछ अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती है तो कुछ अजीबो-गरीब इतिहास के लिए मशहूर है. भारत भी इससे अछुता नहीं है. लेकिन यहां हम एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में जानकर आपको आश्चर्य होगा. हम बात कर रहे हैं एक अनोखे मंदिर की, जिसे डिवोर्स टेंपल यानी तलाक का मंदिर के नाम से जाना जाता है.
कहां स्थित है ‘तलाक मंदिर‘
अब आपके मन में सवाल होगा कि आखिर ये अनोखा मंदिर है कहां. तो बता दें कि यह मंदिर जापान के कनागवा प्रांत में स्थित है. कनागवा प्रांत के कामाकुर शहर में स्थित इस मंदिर का नाम है मातसुगोका टोकेई-जी. दरअसल, 12वीं और 13वीं शताब्दी के दौरान जापानी समाज में तलाक के प्रावधान सिर्फ पुरुषों के लिए ही बनाए थे. उस सयम पुरुष अपनी पत्नी को बड़ी आसानी से तलाक दे सकते थे. लेकिन इस मंदिर के दरवाजे उन महिलाओं के लिए खुले, जो घरेलू हिंसा या दुर्व्यवहार से पीडि़त थीं.
मातसुगोका टोकेई-जी का इतिहास
डिवोर्स टेंपल सुनने में बेशक थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन इसके पीछे भी एक कहानी मशहूर है. मातसुगोका टोकई-जी मंदिर का इतिहास करीब 600 साल पुराना है. ये मंदिर महिलाओं के लिए एक तरीके से वरदान है, यह महिलाओं के लिए दूसरा घर माना जाता है. इस मंदिर को उस समय बनाया गया था जब महिलाओं के पास कोई अधिकार नहीं होते थे और वे घरेलु हिंसा और दुर्व्यवहार का शिकार होती थीं. ऐसी महिलाओं के लिए इस मंदिर का निर्माण किया गया. कहते हैं कि इस मंदिर को काकूसान-नी नाम की एक नन ने अपने पति की याद में बनवाया था. वह न तो अपने पति से खुश थीं और न ही उनके पास तलाक लेने का कोई तरीका था.
ऐसे होता था तलाक
जापान में कामकुरा युग में महिलाओं के पति बिना कोई वजह बताए अपनी शादी तोड़ सकते थे. इसके लिए उन्हें साढ़े तीन लाइन का एक नोटिस लिखना होता था. लोगों की मानें तो इस मंदिर में करीब तीन साल तक रहने के बाद महिलाएं अपने पति से संबंध तोड़ सकती थीं. बाद में इसे कम करके दो साल कर दिया गया.
पुरुषों का आना था मना
साल 1902 तक मंदिर में पुरुषों का सख्त मना था. लेकिन इसके बाद 1902 में एंगाकु-जी ने जब इस मंदिर की देखरेख संभाली तो एक पुरुष मठाधीश को नियुक्त किया. आज, यह मंदिर महिला सशक्तिकरण और स्वतंत्रता के एक अहम प्रतीक के रूप में खड़ा है.
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