जिस व्यक्ति का मन घर में नहीं लगता, उसे भगवान की करनी चाहिए भक्ति: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जिसका मन संसार में लगा हुआ है, ऐसा व्यक्ति निराकार ब्रह्म का ध्यान नहीं कर सकता। निराकार का ध्यान उनसे होता है जिनका चित्त संसार के विषयों से एकदम अलग हो चुका है। जिनका चित्त संसार से एकदम उपराम हो चुका है, जिनको विषय विष तुल्य भासने लगे हैं, जिनको प्रतिष्ठा विष्टा के समान भासने लगी, जिनके लिए भोग रोग हो गये, जिनके लिए श्रृंगार अंगार हो गये, जिनको संसार के किसी राग में आसक्ति नहीं रह गई, ऐसा व्यक्ति ज्ञान का अधिकारी बन जाता है।
जो व्यक्ति रात-दिन पाप कर रहा है, विषय-भोगों में फंसा हुआ है, वह निष्काम कर्म नहीं कर सकता। पहले वह सकाम कर्म करे,  फिर निष्काम कर्म करे। जो व्यक्ति पाप कर रहा है, पहले उसे शुभ कर्मों में लगाओ कि स्वर्ग में दिव्य सुख मिलेंगे। स्वर्ग के दिव्य प्रलोभन पाने के लिए व्यक्ति गलत काम छोड़कर सत्कर्म करना प्रारंभ कर देता है और जब शुभ कर्म करने लगेगा, तब बुद्धि शुद्ध भी होगी, कुछ बुद्धि भी बढ़ेगी, तब उसे निष्काम कर्म में लगाओ।
जो अत्यंत आसक्त है,  पहले उन्हें सत्कर्म की शिक्षा देनी चाहिए और जो संसार से पीछे हट चुके हैं, अनासक्त हो चुके हैं, उन्हें ज्ञान का उपदेश देना चाहिए। ऐसे लोग जो न घर से निकल ही पाते हैं, न घर से बंध ही पाते हैं, भगवान कहते हैं उनके लिए मेरी भक्ति सबसे श्रेष्ठ है। जिनका घर में मन लगता नहीं, छोड़ने का साहस हो नहीं रहा, ऐसे लोगों को भगवान की भक्ति करनी चाहिए। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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