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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, यह चंचल और अस्थिर मन जहां-जहां दौड़कर जाय वहां वहां से हटा कर बारम्बार इसे परमात्मा में ही लगाना चाहिए। मन को वश में करने का उपाय प्रारम्भ करने पर पहले पहले तो यह इतना जोर दिखाता है- अपनी चंचलता और शक्तिमत्ता से ऐसी पछाड़ लगाता है कि नया साधक घबड़ा उड़ता है, उसके हृदय में निराशा सी छा जाती है, परन्तु ऐसी अवस्था में धैर्य रखना चाहिए।
मन का तो ऐसा स्वभाव ही है और हम सबको इस पर विजय पाना है, तब घबड़ाने से काम नहीं चलेगा। मुस्तैदी से सामना करना चाहिये। आज न हुआ तो क्या, कभी न कभी तो वश में होगा ही। इसीलिए भगवान ने कहा है-
शनैः शनैरूपरमेदबुद्धया धृतिगृहीतया।
आत्मसंस्थं मनः कृत्वा न किंचदपि चिन्तयेत्।।
धीरे-धीरे अभ्यास करता हुआ उपरामता को प्राप्त हो, धैर्ययुक्त बुद्धि से मन को परमात्मा में लीन करें और किसी भी विचार को मन में न आने दे। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).