Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, नाम रूप लीला धाम सच्चिदानंद विग्रहम्। भगवान का नाम, भगवान का दर्शन, भगवान की कथा और भगवान का धाम, चार रूप में भगवान जीव मात्र का कल्याण कर रहे हैं। इन चारों में रंच मात्र अंतर नहीं है। नाम, रूप, लीला, धाम चारों भगवान के ही स्वरूप हैं। भगवान् की भक्ति चतुष्पाद् है। भक्ति के चार चरण हैं जैसे- चौकी में चार पाये होते हैं, इसीलिए हम उसे चौकी कहते हैं। चौकी किधर भी ले जाने के लिए चारों पाया पकड़ना जरूरी नहीं है, एक पाया भी पकड़ करके खींचा जाए तो पूरी चौकी ही उधर जायेगी।
भक्ति के भी चार चरण हैं, उन चारों में से एक चरण का भी आश्रय ले लेने से भगवान् की पूर्ण भक्ति प्राप्त होती है। कोई भक्त अगर सुविधा है तो अधिक से अधिक नाम जप कर ले, तब भी उसे पूर्ण भक्ति प्राप्त होगी। भगवान का दर्शन, भगवान की कथा अथवा धाम इन चारों में किसी का आश्रय लेने से भगवान की भक्ति प्राप्त होती है और जीव का कल्याण होता है। भागवत की कथा कल्पवृक्ष के समान है, भागवत सुनने मात्र से भक्त की सम्पूर्ण मनोकामना पूर्ण होती है।
भागवत की कथा गंगा के समान है, सुनने मात्र से भक्त पावन हो जाता है। भागवत की कथा प्रयाग त्रिवेणी के समान है, कर्मयोग भक्तियोग और ज्ञानयोग प्रदान करने वाली है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
ये भी पढ़ें :- पाकिस्तान की संसद में की जाएगी बिल्लियों की भर्ती, इस वजह से सरकार ने लिया फैसला