Astrology For Shivling: सनातन धर्म में श्रावण का विशेष महत्व है. सावन के पावन महीने में देवों के देव महादेव की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि जो शिव भक्त सच्चे मन से सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा आराधना करते हैं, भगवान भोलेनाथ उनकी मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं. कई लोग सावन के समय घर में शिवलिंग स्थापित करते हैं, लेकिन शास्त्रों में शिवलिंग को लेकर भी कुछ खास नियम बताए गए हैं. यदि आप भी सावन के महीने शिवलिंग स्थापित करने की सोच रहे हैं तो इसके नियम अवश्य जान लें….
वैसे तो घर में कोई भी शिवलिंग रख सकता है, लेकिन इससे जुड़े नियमों की जानकारी होना जरूरी है. घर में नर्मदा नदी से निकले पत्थर से बना शिवलिंग रखना चाहिए. यह अधिक शुभकारी होता है. शिवलिंग स्थापित करते ध्यान रखें कि शिवलिंग उत्तर या पूर्व दिशा में ही हो. शिवलिंग स्थापित करने के बाद प्रतिदिन प्रातः एवं सायंकाल विधि पूर्वक पूजन बेहद जरूरी है.
स्थान का दें ध्यान
घर में शिवलिंग स्थापित करने से पहले स्थान का ख्याल रखना बेहद जरूरी है. ध्यान रहे कि घर के कोने में शिवलिंग न रखें. ऐसी जगह का चुनाव करने से भगवान शिव की ठीक से पूजा नहीं हो पाती है. इससे भगवन शिव क्रोधित हो जाते हैं और जीवन में गलत प्रभाव पड़ सकता है. घर में शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा नहीं करवानी चाहिए. उसको वैसे ही रखकर विधि विधान से पूजा करनी चाहिए. इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि शिवलिंग का स्थान न बदलें.
शून्य का प्रतीक हैं शिव
त्रिदेव में भगवान शिव को विनाशकारी माना जाता है. शिवाय शून्य का प्रतीक हैं. भोलेनाथ संहारकर्ता, मृत्यु और विनाश के लिए जाने जाते हैं. ऐसे में यदि संभव हो तो शिवलिंग को घर में स्थापित ना करें, बल्कि उसे घर के बाहर स्थापित करें. शिवलिंग स्थापित करते इस बात का ख्याल रखें कि साथ में शिव परिवार की मुर्ति अवश्य रखें. इससे परिवारजनों में एकता बनी रहती है.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और ज्योतिष गणनाओं पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)