Who is Dom Raja: हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु के बीच कुल 16 संस्कार होते हैं. इन संस्कारों में हर जाति के (पंडित, नाई, बढ़ई, धोबी, डोम आदि) के लोगों की अहम भूमिका होती है. 16वां यानी अंतिम संस्कार डोम राजा के हाथों से की जाती है. हिंदू धर्म में डोम राजा के अग्नि देने के बाद ही शवों को जलाया जाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि कौन हैं डोम राजा और आखिर इनके हाथों से ही क्यों किया जाता है अंतिम संस्कार, आइए जानते हैं…
दरअसल, हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक के स्थान का विशेष महत्व है. अगर बात करें मरने की तो काशी का नाम जरुर आता है. काशी एक ऐसा शहर है, जहां लोग मरने के लिए ही आते हैं. ऐसी मान्यता है कि काशी में मरने के बाद सीधे स्वर्ग की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि बनारस में अंतिम सांस लेने का अर्थ है मोक्ष की प्राप्ति. यही वजह है कि हर कोई काशी में मरना चाहता है.
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पूरी दुनिया में फेमस हैं डोमराजा
अगर बनारस का नाम आए तो डोमराजा का नाम अवश्य आता है. ऐसी मान्यता है कि मरने के बाद डोम राजा के हाथों से ही यहां आने वाले शवों की आत्मा को मुक्ति और मोक्ष मिलता है. आखिर डोमराजा काशी ही नहीं बल्कि पूरे दुनिया में प्रसिद्ध हैं. आइए जानते हैं कौन हैं डोम राजा और क्या है इनके अग्नि देने की धार्मिक मान्यता है.
जानिए क्या है पौराणिक मान्यता?
प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान भोलेनाथ माता पार्वती के साथ काशी भ्रमण करने को आए. इसी दौरान जब माता पार्वती मणिकर्णिका घाट पर स्नान करने लगी तभी उनके कान का एक कुंडल गिर गया, जिसे एक कालू नामक राजा ने अपने पास रख लिया. भगवान शिव और मां गौरी ने उस कुंडल को खोजा लेकिन नहीं मिला. तब महादेव ने क्रोधित होकर कुंडल चुराने वाले को नष्ट होने का श्राप दे दिया. इस श्राप से भयभीत कालू ने तुरंत भोले शंकर और मां पार्वती से अपनी गलती की माफी मांगी. इसके बाद शिवजी ने कालू राजा को श्राप से मुक्ति देकर उसे श्मशान का राजा घोषित कर दिया.
तब से कालू राजा और उनके वंशज श्मशान में आने वाले शवों को मुक्ति देने का काम करने लगे. इसके बदले वे उनसे धन भी लेने लगे. भगवान शिव ने कालू को श्मशान का राजा बना दिया. इसीलिए कालू राजा के वंशज को डोम राजा के नाम से भी जानते हैं.
चिता की अग्नि से जलाते हैं चूल्हा
बनारस के मणिकर्णिका और राजा हरिशचंद्र घाट पर डोम राजा के वंशज ही अंतिम संस्कार करवाने का काम करते हैं. डोम राजा का परिवार जलती लाशों के बीच रहते हैं और इन्हीं चलती चिता की अग्नि से इनके घर का चूल्हा जलता है. पूरे देश में इन्हीं के जाति के लोग ये काम करते हैं. समाज में ये अछूत जाति मानी जाती है लेकिन इन्हीं के हाथों से मृतकों को मोक्ष को प्राप्ति होती है.