Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भागवत मानव के जीवन में प्रकाश लाता है। पुराण अर्क है। मनुष्य चाहे जो भी हो, जहां भी हो वह भगवान का ही है। भगवान का ही था और भगवान का ही रहेगा। इस बात को स्वीकार करें। ईश्वर की ओर जाने वाला मार्ग वही है जहां हम खड़े हैं। ईश्वर की करुणा में शंका न करें। परमेश्वर के सामर्थ्य में शंका न करें। भीतर से पुकारें – ” मैं तुम्हारा हूं”।
हर एक संत का भूतकाल होता है और हर एक बुरे व्यक्ति का भविष्यकाल होता है। आज का वाल्मीकि कल वालिया लुटेरा था। अंगुलिमाल संभव है कि बुद्ध का भिक्षु बनें। उसमें भी करुणा कहीं तो छिपी हुई है। अंगुलिमाल भयंकर हत्यारा था। मक्खी की तरह मनुष्य को मार देता था। ऐसी हत्यारे में भी किसी दिन करुणा प्रकट हुई। अच्छाई मिट नहीं सकती, क्योंकि वह तुम्हारा स्वरूप है।
ईश्वर अंश जीव अविनाशी।
चेतन अमल सहज सुखरासी।।
अच्छाई की चाहत से भरा हुआ हर इंसान है। धर्म क्या है? धर्म यही है जो कि हमें सिखाये कि हम दूसरों से जैसा व्यवहार चाहते हैं वैसा ही व्यवहार हम भी करें।हमारा कोई अपमान करे यह हमें पसंद नहीं है तो हम खुद भी दूसरों का अपमान न करें। हम किसी को छलें नहीं। यदि ऐसा होगा तो कोर्ट कचहरी की जरूरत कम होगी। सम्पत्ति और शक्ति दोनों बच सकेंगे। यह दूसरे काम में लगेगी।
प्रत्येक व्यक्ति धर्म के मार्ग में चले यह आवश्यक है। भटकने का स्वभाव वासना का है, प्रेम का नहीं और अनन्यता से वही भजेगा जो प्रेमी होगा। वो भागवत प्रेमी बनें इसलिये यह पारायण है। हम पर प्रभु की बड़ी ममता है। प्रभु हमें अपना मानते हैं। भगवान का हम पर जितना प्रेम है उतना हमें उनके लिये है? बहती हुई नदी, बरसते बादल, बहती हवा हमें ईश्वर के प्रेम का संदेश देते हैं।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).