Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा,श्रीबाल्मीकि रामायण समस्त श्रीराम कथाओं की गंगोत्री है। भगवती गंगा के अनेक प्रवाह हैं। अनेक शाखाएं हैं। तथापि सबका मूल स्थान जिस प्रकार गंगोत्री है, उसी प्रकार समस्त श्रीराम कथाओं का मूल स्थान श्रीवाल्मीकि रामायण है। श्रीमहर्षि वाल्मीकि की यह रामायण अनेक दृष्टियों से प्रेरणास्पद है। जिस प्रकार संसार में कथाएं अनेक है किंतु श्रीराम कथा सर्वश्रेष्ठ है, उसी प्रकार श्रीराम कथाएं भी अनेक हैं किंतु उन सभी श्रीराम कथाओं में श्रीवाल्मीकि रामायण ही मूल
श्रीराम कथा है। अन्य किसी भी श्रीराम कथा के सम्बन्ध में प्रश्न उपस्थित किये जा सकते हैं किंतु श्रीवाल्मीकि रामायण के प्रति हम कोई प्रश्न उपस्थित नहीं कर सकते। वह जैसी की वैसी ही स्वीकार करनी होती है। वह जैसी है उसी पद्धति से उसकी मीमांसा करनी होती है और सचमुच वह मूल कथा अत्यंत रसभरी और मधुर है। संत जन विशेष चिंतन करके विशेष रूप से श्री महर्षि वाल्मीकि की श्रीराम कथा की ओर उन्मुख हुए तो उसके कुछ कारण है। श्रीराम का जीवन सर्वथा अद्भुत और अद्वितीय है किंतु श्रीराम कथा के विषय में लिखे गये अन्यान्य ग्रन्थों में जिस प्रकार के उल्लेख पाये जाते हैं,
उनका सकल विचार करें तो युवाओं के अथवा चिंतकों के मन में कुछ संदेह निर्माण होने की सम्भावना होती है और यदि उन शंकाओं का समाधान करने की क्षमता हमारे पास न हो तो भावी पीढ़ियों को श्रीरामकथा व्यवस्थित रूप से प्रदान करने में हम असमर्थ होंगे, इस बात का भी हमें ध्यान रखना चाहिए। पूज्य श्रीगोस्वामी तुलसीदास जी महाराज कृत श्री रामचरितमानस तो साक्षात् वेद, पुराण, शास्त्र का स्वरूप है,भगवान शंकर की वाणी है। श्री रामचरितमानस में समस्त ग्रन्थों का समावेश है।
श्रीरामचरितमानस का पाठ, श्रवण, मनन, चिंतन करने से समस्त ग्रन्थों के पाठ, श्रवण, चिंतन का पुण्य फल प्राप्त हो जाता है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).