Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, दुनियां में ऐसा कोई पापी नहीं जो भागवत की कथा सुनकर तर न जाये। पांच महापापी बतलाये गये हैं भागवत में। जो गोहत्या करता है, ब्राह्मण की हत्या करने वाला, सोने की चोरी करने वाला महापापी है। शराब पीने वाला और इनके संसर्ग में बने रहने वाला व्यक्ति भी महापापी है। ये पांच महापाप करने वाला व्यक्ति भी भागवत सुनकर तर सकता है। सामान्य पाप करने वाले तो तर ही जायेंगे! ऐसा कोई व्यक्ति इतिहास में हुआ, जिसने सारे पाप किये और तर गया? नाम लिया धुंधकारी का।
आत्मदेव शर्मा नाम का एक ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी का नाम था धुंधली। इसका आध्यात्मिक स्वरूप ये है कि हमारी आपकी आत्मा का नाम ही आत्मदेव है। आत्मदेव शर्मा की पत्नी का नाम था धुंधली। मनुष्य की बुद्धि ही मनुष्य की पत्नी है और वो धुंधली है। जैसे कम दिखाई पड़ने लगे तो व्यक्ति कहता है धुंधला सा दिखता है। कम समझ में आना धुंधलापन होता है। विषयासक्त बुद्धि ही धुंधली होती है। जो व्यवसायात्मिका बुद्धि है वह बहुशाखाओं वाली है और जो निश्चायात्मिका बुद्धि है वो एक शाखा वाली होती है।
एक ईश्वर को छोड़कर और किसी की ओर मन न जाना, ये बुद्धि की एकाग्रता का स्वरूप है। जो देखे उसी को पाने की इच्छा करना, ये बहुशाखा बुद्धि कहलाती है। जो बुद्धि विषयों में फंसी है, भौतिक पदार्थों को पाने के लिए ललचाती रहती है, वह बुद्धि धुंधली हो जाती है। उसमें ईश्वर तत्व को ग्रहण करने की योग्यता नहीं रह जाती। भागवत की कथा पाप-ताप संताप को मिटाने वाली है। श्रद्धा से भागवत की कथा सुनने से धीरे-धीरे भगवत प्राप्ति की योग्यता भक्त को प्राप्त हो जाती है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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