रामायण पढ़ने सुनने से व्यक्ति को जीवन जीने का आ जाता है ढंग: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, चारित्रेण च को युक्तः अर्थात् जिनका चरित्र सर्वदा संयमित है और मर्यादायुक्त है, उसके प्रति कोई अपवाद नहीं है। सर्वभूतेषु  को हितः अर्थात् सबका कल्याण करने के लिए जो प्रस्तुत है और दक्ष है। क्या इस प्रकार का कोई सत्पुरुष आपको दिखाई देता है? महर्षि वाल्मीकि के प्रश्न में यह बात कही गई है। सांप्रत का अर्थ होता है जो वर्तमान में है। भूतकाल का भी नहीं अथवा भविष्य काल में होने वाला भी नहीं।
भगवान में अनेक गुण होते हैं। जिनके दर्शन मैं कर सकूं, ऐसे दिव्य पुरुषोत्तम का नाम मुझे बताइए। भगवान श्री रामचंद्र जी नर लीला कर रहे हैं। महर्षि वाल्मीकि की धारणा यहां स्पष्ट दिखाई देती है, अब यह रामकथा भगवान की कथा है,और भगवान की कथा के साथ-साथ मानव मात्र के शिक्षा के लिए कथा है। रामायण हमें जीना सिखाती है। रामायण पढ़ने सुनने से व्यक्ति को जीवन जीने का ढंग आ जाता है और फिर वह हर परिस्थिति में प्रसन्न रह सकता है।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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