Chaiti Chhath 2024: कब से शुरु होगा चैती छठ महापर्व? जानिए नहाय-खाय, खरना और अर्घ्य का सही दिन

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Chaiti Chhath Puja 2024: हिंदू धर्म में छठ महापर्व का विशेष महत्‍व होता है. साल में दो बार छठ का त्‍योहार मनाया जाता है. एक कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है तो वहीं दूसरा चैत्र माह के शुक्ल पक्ष में. चैत छठ पर्व मैथिल, मगही और भोजपुरी लोगों का सबसे बड़ा त्‍योहार है.

छठ पूजा का पर्व चार दिनों का होता है. महिलाए अपने संतान की सुखी जीवन के लिए छठ का व्रत रहती है. मान्‍यता हैं कि छठ का व्रत करने से संतान, धन वैभव ऐश्‍वर्य आदि की प्राप्‍ति होती है. छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है और सूर्योदय के अर्घ्य देकर पारण करने के बाद समाप्त होती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस साल चैत छठ महापर्व की शुरुआत कब हो रही है.

इस दिन से शुरू होगा छठ महापर्व   

हिंदू पंचांग के अनुसार, यह छठ चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. साल 2024 में चैती छठ की शुरुआत चैत्र शुक्ल चतुर्थी तिथि, 12 अप्रैल यानी शुक्रवार को रोहिणी नक्षत्र व आयुष्मान योग में नहाय-खाय से होगी. इस दिन व्रती गंगा-स्नान करके अरवा चावल, चना दाल, कद्दू की सब्जी आदि ग्रहण कर इस महापर्व का संकल्प लेंगी.

  • 12 अप्रैल, शुक्रवार को नहाय-खाय
  • 13 अप्रैल, शनिवार को खरना
  • 14 अप्रैल, रविवार को संध्या अर्घ
  • 15 अप्रैल, सोमवार को प्रात: अर्घ व पारण

नहाय-खाय पूजा

मान्यताओं के अनुसार, चैती छठ पर्व का पहला दिन नहाय खाय है. इस दिन व्रती स्नान करके भगवान सूर्य देव की पूजा करती हैं. इसके बाद शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करती हैं.

खरना क्या है

खरना छठ महापर्व का दूसरा दिन है. इस दिन से महिलाएं 36 घंटे का व्रत आरंभ करती हैं.  इस दिन व्रती सूर्यास्‍त से पहले पानी की एक बूंद तक नहीं पीते हैं. शाम के समय चावल गुड़ और गन्ने के रस से बनी खीर खाती है. इस खीर को खाने से पहले परिवार के सभी अन्‍य लोग घर से बाहर चले जाते हैं ताकी कोई शोरशराबा न हो सके, क्योंकि किसी भी तरह की आवाज सुनना त्‍योहार के नियम के विरुद्ध है.

छठ का तीसरा दिन

तीसरे दिन सुबह के समय प्रसाद बनाया जाता है. इसके बाद शाम में महिलाएं अर्घ्य के लिए बांस की टोकरी सजाकर तालाब या नदी के किनारे जाती हैं. सूर्य की उपासना करती हैं और डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं.

चौथा दिन

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि यानी छठ के चौथे दिन सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन सूर्योदय से पहले ही व्रती घाट पर पहुंच जाते हैं. विधिवत पूजा अर्चना के बाद उगते हुए सूर्य को अर्घ्‍य दिया जाता है. इसके बाद घर आकर सभी व्रती लोग कच्चे दूध का शरबत पीकर तथा थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत खोलते हैं.

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