Chaitra Navratri: नवरात्रि के पांचवें दिन होती हैं मां स्कंदमाता की पूजा, जानिए इनका स्वरूप, प्रिय भोग और मंत्र

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन आदिशक्ति की पांचवे स्‍परूप मां स्‍कंदमाता की पूजा की जाती है. इस साल 9 अप्रैल से शुरू हुए नवरात्रि का पांचवा दिन 13 अप्रैल, दिन शनिवार को पड़ रहा है. इस दिन मां जगदंबा के स्‍वरूप स्‍कंदमाता की अराधना की जाएगी.

स्‍कंदमाता प्रेम और ममता की प्रतीक मानी जाती है. मान्‍यता है कि इनकी पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है. माता दुर्गा के पांचवें स्वरूप को यह नाम स्‍वामी कार्तिकेय से मिला है. धार्मिक मान्यता के अनुसार देवी स्कंदमाता कार्तिकेय यानी स्कंद कुमार की माता है. ऐसे में आइए जानते हैं मां स्कंदमाता का रूप, पूजा-मंत्र और भोग.

इसलिए कहलाईं स्‍कंदमाता

मां दुर्गा की पांचवी स्‍वरूप स्‍कंदमाता हैं. भगवान शिव की अर्द्धांगिनी के रूप में मां ने भगवान कार्तिकेय को जन्‍म दिया था. कार्तिकेय का एक और नाम स्‍कंद है, इसलिए मां दुर्गा के इस रूप को स्‍कंदमाता कहा गया है, जो कि प्रेम और ममता की मूर्ति हैं.

मां स्कंदमाता का रूप

स्कंदमाता चार भुजाधारी हैं. ये अपनी दाई ओर की ऊपरी भुजा में कार्तिकेय को गोद में शेर पर विराजमान हैं. माता के दोनों हाथों में कमल का पुष्प शोभायमान है. इस स्‍वरूप में मां समस्त ज्ञान, विज्ञान, धर्म-कर्म और कृषि उद्योग समेत पंच आवरणों से समाहित विद्यावाहिनी दुर्गा भी कहीं जाती हैं. मान्‍यता है कि स्‍कंदमाता की पूजा में धनुष बाण अर्पित करना भी शुभ है.

बीज मंत्र

ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:

मां स्‍कंदमाता का प्रार्थना मंत्र

-सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।

 

-या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मां स्कंदमाता का प्रिय भोग

दुर्गा मां की पांचवी स्‍वरुप को पीले रंग की वस्‍तुएं अति प्रिय हैं. इसलिए उनको पीले फल और पीली मिठाईयों का भोग लगानी चाहिए. यह भी माना जाता है कि मां को केला प्रिय है, इसलिए पूजा में मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाएं. वहीं, विद्या और बल प्राप्‍त करने के लिए मां को 5 हरी इलाइची चढ़ाएं. साथ में लौंग का एक जोड़ा भी अवश्‍य चढ़ाएं.

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