Navratri Kalash Visarjan 2024: चैत्र नवरात्रि का समय चल रहा है. इस समय मां दुर्गा के उपासक नौ दिनों तक पूरे विधि विधान से पूजा उपासना करते हैं. नवरात्रि की पूजा पहले दिन घटस्थापना के साथ शुरू हो गई है. वहीं, नवरात्रि के नौवें दिन कलश विसर्जन के साथ नवरात्रि की पूजा पूर्ण होगी. नवरात्रि में कलश स्थापना के साथ-साथ कलश विसर्जन का भी विशेष महत्व है.
शास्त्रों के मुताबिक ऐसी मान्यता है कि कलश विसर्जन करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. वरना मां दुर्गा नाराज हो जाएंगी और हमे नवरात्रि पूजा का लाभ नहीं मिलेगा. ऐसे में आइए जानते हैं कलश विसर्जन करने का विधि-विधान…
कलश विसर्जन की विधि
नवरात्रि के आखिरी दिन मां दुर्गा और कलश की विधि-विधान से पूजा करें. क्योंकि कलश विसर्जन करने से ही व्रत का फल मिलता है. कलश विसर्जन से पहले ‘ॐ ऐं हीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे..’ मंत्र का उच्चारण करें. इसके बाद कलश के ऊपर रखे नरियल को किसी लाल चुनरी में लपेटकर अपनी पत्नि, मां या बेटी को दें दें. कलश में जो आम का पत्ता लगा रहता है, उससे ही कलश के जल को घर में छिड़कें. जल छिड़कते समय ध्यान रखें कि, इसे बाथरूम या फिर किसी अन्य अपवित्र जगह पर ना छिड़कें. अगर जल बच जाता है तो, उसे पेड़-पौधे में डाल दें. ये पवित्र जल घर में समृद्धि बढ़ाता है. इसके साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है.
सिक्के को तिजोरी या पर्स में डाल लें
कलश में जो सिक्का मौजूद होता है. उसे अपने माथे से लगाकर अपने पर्स या तिजोरी में रख दें. इससे कभी भी आपके घर में धन की कमी नहीं होगी. आपका धन, दिन दूना-रात चौगुना बढ़ेगा. इसके अलावा आपके जीवन में हमेशा सौहार्द्र बना रहेगा.
अक्षत को घर में छिड़कें
कलश स्थापना के दौरान कलश के नीचे अक्षत रखना अत्यंत शुभ माना जाता है. ये घर में खुशहाली बढ़ाते हैं. नवरात्रि के समापन के बाद चावलों को मुट्ठी में भरकर घर में छिड़कने से नकारात्मकता दूर होती है. इससे हमेशा घर में समृद्धि बनी रहती है.
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(Disclaimer: लेख में दी गई जानकारी समान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है, इसकी पुष्टी The Printlines नहीं करता है.)