Chhath Puja 2024: डूबते सूर्य को आज दिया जाएगा अर्घ्य, जानें छठ पूजा का महत्व?

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Chhath Puja 2024: आज, 07 नवम्बर को छठ महापर्व का तीसरा दिन है. नहाए-खाए और खरना के बाद आज संध्याकाल में डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. बता दें कि इस दिन पहले भगवान सूर्य और छठी मैय्या की पूजा की जाती है. फिर संध्याकाल के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव की उपासना से संतान प्राप्ति, संतान की रक्षा और सुख समृद्धि का वरदान मिलता है. आइए आपको छठ महापर्व के तीसरे दिन की पूजन विधि और संध्या अर्घ्य का समय बताते हैं… 

छठ में तीसरे दिन कैसे होती है पूजा?

छठ पूजा के तीसरे दिन को संध्या अर्घ्य भी कहा जाता है. यह पूजा चैत्र या कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को की जाती है. इस दिन सुबह से अर्घ्य की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. पूजा के लिए लोग प्रसाद जैसे ठेकुआ, चावल के लड्डू बनाते हैं. छठ पूजा के लिए बांस की बनी एक टोकरी ली जाती है, जिसमें पूजा के प्रसाद, फल, फूल, आदि अच्छे से सजाए जाते हैं. एक सूप में नारियल, पांच प्रकार के फल रखे जाते हैं.
सूर्यास्त से थोड़ी देर पहले लोग अपने पूरे परिवार के साथ नदी के किनारे छठ घाट जाते हैं. छठ घाट की तरफ जाते हुए रास्ते में महिलाएं गीत भी गाती हैं. इसके बाद व्रती महिलाएं सूर्य देव की ओर मुख करके डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर पांच बार परिक्रमा करती हैं. अर्घ्य देते समय सूर्य देव को दूध और जल चढ़ाया जाता है. उसके बाद लोग सारा सामान लेकर घर आ जाते है. घाट से लौटने के बाद रात्रि में छठ माता के गीत गाते हैं.

सूर्य अर्घ्य देने का समय

छठ पूजा के तीसरे दिन यानी आज शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. हिंदू पंचांग के मुताबिक, आज यानी 7 नवंबर को सूर्योदय सुबह 6:42 बजे होगा. वहीं, सूर्यास्त शाम 5:48 बजे होगा. इस दिन भक्त कमर तक पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं.

क्यों दिया जाता है डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, संध्यकाल में सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं. इसलिए छठ पूजा में शाम के समय सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देकर उनकी उपासना की जाती है. ज्योतिषियों का कहना है कि ढलते सूर्य को अर्घ्य देकर कई मुसीबतों से छुटकारा पाया जा सकता है. इसके अलावा सेहत से जुड़ी भी कई समस्याएं दूर होती हैं.

छठ पर्व की कथा

एक पौराणिक कथा के मुताबिक, राजा प्रियवद को कोई संतान नहीं थी, तब महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराकर उनकी पत्नी मालिनी को यज्ञाहुति के लिए बनाई गई खीर दी. इसके प्रभाव से उन्हें पुत्र हुआ परन्तु वह मृत पैदा हुआ. प्रियवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे. उसी वक्त ब्रह्माजी की मानस कन्या देवसेना प्रकट हुई और कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं. हे! राजन् आप मेरी पूजा करें तथा लोगों को भी पूजा के प्रति प्रेरित करें. राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी.

सूर्य को अर्घ्य देने का मंत्र क्या है?

सूर्यदेव को लाल चंदन और लाल रंग के फूल अर्पित करना चाहिए. फिर थाली में दीपक और लोटा रखें. लोटे में जल, एक चुटकी लाल चंदन और लाल रंग के फूल डालें. इसके बाद ॐ सूर्याय नमः मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्यदेव को संध्या अर्घ्य देना चाहिए. सूर्यदेव को जल अर्घ्य देते समय तांबे के लौटे का इस्तेमाल करें. जल अर्पित करते समय व्यक्ति का मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए.
Latest News

Kangana Ranaut की बढ़ी मुश्किलें, इस मामले में कोर्ट ने भेजा नोटिस

अभिनेत्री एवं हिमाचल प्रदेश मंडी से सांसद कंगना रनौत के खिलाफ राष्ट्रद्रोह एवं किसानों के अपमान के मामले में...

More Articles Like This

Exit mobile version