मंत्रशास्त्र की सिद्धि के लिए परम आवश्यक है चित्त की एकाग्रता: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मंत्र जप से और विशिष्ट प्रकार की धारणा से अपनी शक्ति का जागरण किस प्रकार होता है और वह कितना विलक्षण होता है। इसका वर्णन धर्म शास्त्रों में सर्वत्र किया गया है। यदि अच्छे सुशिक्षित व्यक्ति में प्रामाणिक जिज्ञासा हो, बुद्धि में उत्कंठा हो तो मंत्र शास्त्र का शास्त्रोक्त ज्ञान प्राप्त करने के लिए उन्हें मराठी भाषा में रचित ‘कल्पतंरुची फूले ‘ नामक पुस्तक का अध्ययन अवश्य करना चाहिए।
लेखक ने आधुनिक विज्ञान की भाषा में सम्पूर्ण मंत्रशास्त्र पर प्रकाश डाला है। इस पुस्तक की प्रस्तावना विद्याधर गोखले ने लिखी है। अपनी प्रस्तावना में विद्याधर गोखले लिखते हैं- मंत्रशास्त्र के प्रति इतना निःशंक करने वाला अन्य कोई ग्रंथ मैंने अभी तक नहीं देखा है। इन मंत्रों के जप से शक्ति का जागरण अपने आप होता है। ऐसी अनेक प्रकार की शक्ति का उद्भूत होना भी एक विज्ञान ही है। इसका अध्यात्म के साथ बहुत अधिक सीधा सम्बन्ध है। अध्यात्म का सच्चा सम्बन्ध वृत्ति की शुद्धि से है।
मंत्रशास्त्र का सम्बन्ध प्राण शक्ति के स्पंदन से है। प्राण शक्ति का स्पंदन बदलते ही किस-किस प्रकार की भिन्न-भिन्न शक्तियों का जागरण होता है, यह सारा एक रोचक विज्ञान है। सारे संसार की उत्पत्ति, इस संसार के मूल द्रव्य वायब्रेशन अर्थात कम्पन अथवा स्पंदन से ही हुआ है, ऐसा विज्ञान भी मानता है। प्राणियों के स्पंदन से ही इसका सटीक सम्बन्ध जोड़ा गया तो जिस वस्तु की हमें आवश्यकता है, वह वस्तु सनमुख आनी चाहिए। यह मंत्रशास्त्र का मूल सिद्धांत है।
मंत्रशास्त्र की सिद्धि के लिए चित्त की एकाग्रता परम आवश्यक है, किन्तु चित्तशुद्धि की विशेष आवश्यकता नहीं है। भले ही यह सत्य हो कि चित्तशुद्धि हो तो कार्य शीघ्र होगा, किन्तु ऐसा नहीं भी हो तो कोई हानि नहीं है। मंत्र शास्त्र से शक्ति की जागृति तो होगी किन्तु चित्त की शुद्धि भी होगी। संत यह बात इसलिए कहा करते हैं क्योंकि मनुष्य के जीवन में किसी न किसी मंत्र का जप होना चाहिए।जीवन में शक्ति नहीं हो तो जीवन का कोई आधार नहीं। उसमें तटस्थता नहीं। लाचार गूंगे को कोई भी दुःखी कर देता है। लेकिन शक्तिशाली का सब सम्मान करते हैं।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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