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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, बड़ा धैर्य चाहिए, घबड़ाने, ऊबने या निराश होने से काम नहीं होगा। झाड़ू से घर साफ कर लेने पर भी जैसे धूल जमी हुई सी दिखाई पड़ती है, उसी प्रकार मन को संस्कारों से रहित करते समय यदि मन और भी अस्थिर या अपरिच्छिन्न दिखे तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है।
पर इससे डरकर झाड़ू लगाना बंद नहीं करना चाहिए। इस प्रकार की दृढ़ प्रतिज्ञा कर लेनी चाहिए कि किसी प्रकार भी वृथा चिंतन या मिथ्या संकल्पों को मन में नहीं आने दिया जायेगा। बड़ी चेष्टा, बड़ी दृढ़ता रखने पर भी मन साधक की चेष्टाओं को कई बार व्यर्थ कर देता है, साधक तो समझता है कि मैं ध्यान कर रहा हूँ पर मन देवता संकल्प विकल्पों की पूजा में लग जाते हैं।
जब साधक मन की ओर देखता है तो उसे आश्चर्य होता है कि यह क्या हुआ? इतने नये-नये संकल्प जिनकी भावना भी नहीं कि गई थी – कहां से आ गये। बात यह होती है कि साधक जब मन को निर्विषय करना चाहता है तब संसार के नित्य अभ्यस्त विषयों से मन को फुर्सत मिल जाती है, उधर परमात्मा में लगने का इस समय तक उसे पूरा अभ्यास नहीं होता।
इसलिए फुरसत पाते ही वह उन पुराने दृश्यों को सिनेमा के फिल्म की भांति क्षण क्षण में एक के बाद एक उलटने लग जाता है। इसीसे उस समय ऐसे संकल्प मन में उठते हुए मालूम होते हैं जो संसार का काम करते समय याद भी नहीं आते थे। मन की ऐसी प्रबलता देखकर साधक स्तंभित सा रह जाता है, पर कोई चिंता नहीं।
जब अभ्यास का बल बढ़ेगा तब उसको संसार से फुरसत मिलते ही तुरंत परमात्मा के ध्यान से हटाये जाने पर भी न हटेगा। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).