Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, निष्काम भक्ति ही भागवत शास्त्र का विषय है। भक्ति धन या सुख प्राप्त करने के लिए नहीं, बल्कि परमात्मा को प्राप्त करने के लिए करनी चाहिए। भक्ति का फल भोग नहीं, भगवान है।
भगवान के पास से लौकिक सुख की मांग करने वाला, भगवान को पहचानता ही नहीं। प्रभु से कुछ मांगो मत, प्रारब्ध बस तुम्हें न मिल पाया तो तुम्हें बुरा लगेगा। क्या प्रभु के उदारता में कमी आ गई? क्या प्रभु के न्याय पर भरोसा नहीं है ? जो तुम्हें प्रभु के सामने बारंबार मांगना पड़ रहा।
प्रभु तो अंतर्यामी है, उदार हैं और पूर्ण न्यायी है। इसीलिए प्रभु से कुछ मांगने की जरूरत नहीं। हमारे-आपके कल्याण के लिए जो जरूरी है, वह सब प्रभु स्वयं ही देने वाले हैं। जिसके विवेक नहीं, वह संसार रूपी नदी में डूब मरता है।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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