Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान सच्चिदानंद है। सूर्य, चंद्र, तारामंडल अनेकों बार बना और मिटा, लेकिन परमात्मा कभी नहीं मिटते, इसलिए परमात्मा को सत कहते हैं। संसार इस चेतन से चल रहा है जैसे- गाड़ी जड़ है ड्राइवर चेतन है, वह गाड़ी को चलता है। आनंद – “सुखं मे भूयात् दुखं मा भू ” मैं सदा सुखी रहूं ,दुःख मेरे पास कभी न आये कीड़ी से लेकर ब्रह्मा तक हर जीव यह चाहता है। सुख हर व्यक्ति चाहता है लेकिन दौड़ उसे तरफ रहा है, जहां दुःख ही दुःख है।
जीव के एक तरफ अविद्या माया है और दूसरी तरफ परमात्मा है। जीव मध्य में है अब उसे निर्णय करना है कि उसे किधर जाना है। दोनों का परिचय जान लेना चाहिए। अविद्या माया नाशवान है, परमात्मा शाश्वत हैं। अविद्या माया जड़ है, परमात्मा चेतन है। अविद्या माया दुःख रूप है, परमात्मा सुख रूप है। अगर हम अविद्या माया की तरफ दौड़ेंगे तो दुःख ही दुःख मिलेगा। जीवन में जड़ता आयेगी और जीवन समाप्त हो करके परम लक्ष्य की प्राप्ति नहीं कर पायेगा। लेकिन अगर हम शाश्वत परमात्मा की तरफ चल पड़े तो जीवन से जड़ता मिटेगी और सुख की प्राप्ति होगी, परमात्मा की प्राप्ति और जीवन सफल होगा।
सभी हरि भक्तों को तीर्थगुरु पुष्कर आश्रम एवं साक्षात् गोलोकधाम गोवर्धन आश्रम के साधु-संतों की तरफ से शुभ मंगल कामना। श्रीदिव्य घनश्याम धाम
श्रीगोवर्धन धाम कॉलोनी बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्रीदिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट, ग्रा.पो.-गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).