Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान श्री कृष्ण का प्राकट्य वसुदेव देवकी के सामने हुआ। ऐसा लगा कि एक साथ करोड़ों सूर्य का उदय हो गया। ऐसा दिव्य प्रकाश हो रहा था, श्रीमद्भागवत महापुराण में भगवान व्यास कहते हैं, परमात्मा का स्वरूप प्रकाश पुंज है। श्रीमद्भगवद्गीता में भी मंत्र आता है कि-
ज्योतिषामपि तद् ज्योतिः परमात्मा परम ज्योति स्वरूप है, परमात्मा से निकलकर ज्योति सूर्य, चंद्र, नक्षत्र मंडल को ज्योति से युक्त करती रहती है। उपनिषदों में भी यही बात कही गई है। त्वमेव भांतमनुभांतिसर्वं, तस्य भाषा सर्वमिदं विभाति।।
जैसे कांच से निकलकर प्रतिबिम्ब दीवाल पर दिखाई दे रहा है, वो कांच का नहीं है, दीवाल का भी नहीं है, वो तो सूर्य का है। प्रकाश परमात्मा का है, आनंद परमात्मा का है, वो कहीं से प्राप्त हो रहा हो, लेकिन है परमात्मा का। श्री वासुदेव जी महाराज भगवान को गोकुल लाये तो बंधन खुल गये और माया को लेकर वापस मथुरा आये तो भागवत में लिखा है- ” सर्वं पूर्वं वदावृतः ” जैसे पहले बंधन थे, वैसे हो गये।
माया बंधन में डालती है और ईश्वर बंधन से मुक्त करता है। इसलिए ईश्वर की तरफ ज्यादा ध्यान रखना चाहिए। सभी हरि भक्तों को तीर्थगुरु पुष्कर आश्रम एवं साक्षात् गोलोकधाम गोवर्धन आश्रम के साधु-संतों की तरफ से शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम श्रीगोवर्धन धाम कॉलोनी बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्रीदिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट, ग्रा.पो.-गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).