तीर्थ की पवित्र भूमि में किया गया सत्कर्म होता है अधिक श्रेयस्कर: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कर्म में सावधानी! जीवन के हर क्षेत्र में सावधानी अति आवश्यक है। भजन में भी सावधानी अति आवश्यक है। सकाम भजन ईश्वर तक पहुंचने वाला नहीं होता है, वह हमें नश्वर संसार की ही प्राप्ति करने वाला सिद्ध होता है। संसार से भागने की आवश्यकता नहीं है, संसार से भाग कर कहां जाओगे? जहां जाओगे वहां भी संसार होगा।
संसार में जागने की आवश्यकता है। जीवन में जागृति आ जाय जीवन धन्य हो गया। वाण-शय्या पर पड़े हुए भीष्म को श्री कृष्ण ने कहा, ” आपने कभी पाप नहीं किया है, इसलिए अंत में मिलने के लिए आया हूं, परंतु दुर्योधन की सभा में दुःशासन के हाथों द्रोपती के वस्त्र खींचे जाने के पाप कर्म को आपने देखा है और उसे रोक नहीं,  इसलिए आपको यह सजा मिल रही है।
अपने कुल की पुत्रवधू के साथ अन्याय का आचरण होता रहे और आप उसे उपेक्षा भाव से देखें, यह क्षम्य नहीं है। दुर्योधन के घर का अन्न खाने से आपकी बुद्धि उस समय निर्णय करने में सक्षम नहीं थी, इसलिए उस समय राज्यसभा में आप चुपचाप बैठे रहे। यदि किसी सभा में पापकर्म होता है और उस समय आप वहां बैठे हो तो उस पाप कर्म में आपकी सम्मति है- ऐसा माना जाएगा और उसका पाप आपको भी लगेगा।
किसी का भी पाप न देखो और न सुनो, अन्यथा वह पाप आपको  भी हानि पहुंचाएगा। तीर्थ की पवित्र भूमि में किया गया सत्कर्म अधिक श्रेयस्कर होता है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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