Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान कपिलदेव ने माँ देवहूति से कहा, ” मां, यह जगत बुरा नहीं है, बल्कि इस जगत को देखने वाला हमारा मन बिगड़ा हुआ है.” अपने मन को यदि हम सुधरेंगे तो जगत में हमें कुछ भी दोष नजर नहीं आएगा.
लौकिक वासना से बिगड़ा हुआ मन अलौकिक वासना में फंसता है, तभी सुधरता है. संसार के पदार्थों को प्राप्त करने की वासना लौकिक वासना और भगवान को प्राप्त करने की वासना अलौकिक वासना कहलाती है. यदि हृदय में प्रभु को प्राप्त करने एवं उसी में समा जाने की वासना पैदा होगी, तो संसार के प्रति हमारी वासना निश्चित ही नष्ट हो जाएगी.
इसीलिए भगवान कपिलदेव भागवत में कहते हैं कि लौकिक वासना का कांटा अलौकिक वासना के कांटे से ही निकाला जा सकता है. अपने मन को अलौकिक वासना से भर दो, लौकिक वासना अपने-आप समाप्त हो जाएगी. जीवन में शांति एवं कल्याण प्राप्त होगा.
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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