Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मन को जबरदस्ती पकड़ कर ब्रह्मरंध्र में लाते हुए तेजोमय ब्रह्म में स्थिर करने को जड़ समाधि कहते हैं। ऐसी समाधि में बैठने वाले को काल भी स्पर्श कर नहीं सकता – यह बात सत्य है, किन्तु जबरदस्ती बस में किया गया मन खीज से भरा हुआ होता है, अतएव अवसर मिलते ही वह हमें खड्डे में गिरा देता है।
इसलिए चाहे जड़ समाधि में मन का दमन होता हो, परंतु मन में स्थिर विकार नष्ट नहीं होते। यही कारण है कि हजारों वर्षों की जड़ समाधि के बाद भी पतन की पूरी संभावना बनी रहती है। कल्याण के जितने भी साधन हैं कर्मयोग, ज्ञानयोग अथवा अष्टांगयोग, लेकिन सबके साथ में भगवान की भक्ति आवश्यक है। भक्ति से रहित ज्ञान हमें अभिमानी बना सकता है। ज्ञान का अभिमान भी ठीक नहीं है। भक्ति से रहित कर्म भी हमें भगवान के चरणों की प्राप्ति नहीं करा सकता। इसलिए कल्याण के जितने साधन हैं उनके साथ भक्ति का होना आवश्यक है, लेकिन भक्ति अकेले भी ईश्वर की प्राप्ति करने वाली है।
मन उदार होगा तभी परिवार और जीवन में शांति स्थापित होगी। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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