सीताराम जी के विवाह की कथा सुनने गाने से जीवन में होता है मंगल ही मंगल: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जनकनंदिनी जानकी सर्वथा अलौकिक है और दशरथ नंदन श्रीराम भी सर्वथा अलौकिक है। इन दोनों का परिणय कोई साधारण विवाह नहीं है। यह तो मिथिलावासियों का परम सौभाग्य है कि संसार के लिए दुर्लभ ऐसे दिव्य विवाहोत्सव के वे साक्षी हैं। इधर चार भाई और उधर चार बहनें! एक ही समय में चारों भाइयों या चारों बहनों के विवाह हुए हों, ऐसा संसार में कभी हुआ ही नहीं। पूज्य गोस्वामी श्रीतुलसीदास जी महाराज  ने इस विवाहोत्सव का अत्यंत सुंदर वर्णन किया है।
अयोध्या से मिथिला नगरी में पधारी यह बारात एक मास तक रुकी थी। तब तक मिथिलावासियों ने विशाल हृदय से बारातियों की सेवा सुश्रुषा की। प्रतिदिन भोजन की पंगतें चल रही हैं।नाना प्रकार के व्यंजन का वर्णन पूज्य गोस्वामी श्री तुलसीदास जी महाराज ने किया है। प्रत्येक मिथिलावासियों की यह आत्मीय धारणा है कि सीता हमारी ही कन्या है और इस नाते सीता का विवाह हमारे ही घर का कार्य है। ऐसा भी नहीं कि अयोध्यावासी समृद्ध नहीं है अथवा उनमें ममत्व नहीं है; तथापि मिथिलावासियों का सेवा भाव देख वे संतुष्ट हो रहे हैं।
प्रतिदिन कोई न कोई नवीन कार्यक्रम चल रहा है और मिथिला के वातावरण में आनंद की वर्षा हो रही है। इस आनंद में एक माह का समय कैसे बीता, इसका किसी को आभास ही नहीं हुआ। लोग प्रभु श्रीराम और भगवती जानकी का दर्शन करने आ रहे हैं। यह अलौकिक जोड़ी देख उनका अंतःकरण तृप्त हो रहा है। सबके मुख से एक ही बात सुनाई दे रही है- ‘श्री रामचंद्र जी जैसे दामाद हमें मिले हैं। हम धन्य हुए।’ वह ऐसा नहीं कहते कि ‘ महाराज जनक को मिले।’ प्रत्येक मिथिला वासी का यही भाव है कि सीता मेरी कन्या है और श्रीराम मेरे दामाद है। जैसे-जैसे विदाई की घड़ी निकट आ रही है, वैसे-वैसे प्रत्येक का अन्तःकरण द्रवित हो रहा है।

सीता की विदाई की वेला निकट आते देख महाराज जनक सर्वाधिक व्याकुल हैं। वे इस रहस्य को समझ नहीं पा रहे हैं कि मैं इतना ज्ञानी फिर भी मेरे हृदय में यह कैसी हलचल है। श्री सीताराम जी के विवाह की कथा सुनने गाने से जीवन में मंगल ही मंगल होता है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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