Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जिस घर में गरीब का सम्मान है और नीति का धन है, वह घर बैकुण्ठ के समान है। इंद्रियों को चाहे जितना तृप्त किया जाए, वे आज तक न तो तृप्त हुई हैं, न हो रही हैं,और न होने वाली हैं। जिह्वा पर जितनी ममता रखी जायेगी, उतनी ही वह अधिक सतायेगी। जीभ को प्रसन्न रखने की कोशिश में दृष्टि बिगड़ेगी, मन बिगड़ेगा और चेतना भी बिगड़ेगी।
आज के आधुनिक लोग होटल या सिनेमा में आनंद ढूंढते हैं, किंतु वहां जीभ और दृष्टि के बिगड़ने के अतिरिक्त और क्या लाभ होता है? पैसे खर्च करके तीन घंटे तक अंधेरे में भीड़ के साथ बैठे रहने में कौन सी बुद्धिमानी है। सिनेमा मनोरंजन का साधन नहीं, अपितु मन बिगाड़ने वाला मनोरंजन का साधन है। इसको देखने से मन को विश्राम नहीं मिलता, उल्टे दुःख का अनुभव होता है।
इसका कारण यह है कि श्रृंगारिक दृश्य को देखकर बिगड़ा हुआ मन स्पर्श-सुख के लिए पागल बन जाता है, और जीवन का संपूर्ण विवेक खो बैठता है। अजामिल ने थोड़ी देर कुछ विपरीत दृश्य देख लिए, अजामिल का जीवन बर्बाद हो गया। किसी भी तरह के कुसंग से बचने का प्रयास करना चाहिए और सत्संग, स्वाध्याय, जप का आश्रय लेना चाहिए।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा,
(उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर(राजस्थान)न के चरणों की भक्ति है।