Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मंत्र, मूर्ति और माला- किसी मंत्र का जाप करते समय यदि कोई बड़ा नुकसान हो जाता है, तो भी हृदय में महामंत्र के प्रति दुर्भाव मत लाओ. इसी तरह उस मंत्र को छोड़कर दूसरे मंत्र का जाप शुरू करने का विचार भी मत करो. मंत्र, मूर्ति और माला कभी नहीं बदले जाते. इसका कारण यह है कि एक लाख बार मंत्र जाप करने के बाद ही तो माला में दिव्य शक्ति प्रकट होती है. ऐसी माला का त्याग कैसे किया जाय?
व्यवहारिक कार्य करते हुए भी यदि मंत्र जाप की धारा अखंडित रहे, तो समझो कि मंत्र सिद्ध होता जा रहा है और यदि हर पल और हर घड़ी परमात्मा की मूर्ति अंतर की आंखों की समक्ष आती रहे, तो समझ लो कि मूर्ति के प्रति तुम्हारी निष्ठा सिद्ध होती जा रही है. कुछ लोग अधिक खाने से दुःखी होते हैं, तो कुछ लोग भोजन न मिलने से दुःखी होते हैं.
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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